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________________ काश्मीर देशथी संघ पधारे, करवा भक्ति खास; मूरतितणो लेप गळंता, थाय रतनने त्रास...७ नवल पडिमा पामवा काजे, आदरे ते उपवास; स्वर्णगुफाथी अंबा आपे, बिंब रतनने खास...८ अतित चोवीशी सागर काळे, इन्द्रे भरावी तास; कृष्णादिके पूजी जाणतां, थाय तेने उल्लास...९ पोष मास सोहामणो ने, सुद सातम सोमवार; वीर छव्वीस शताब्धि वरसे, नव्वाणुं थई सुखकार... १० भव अनंता भमतां भमतां, क्यांये ना आव्या हाथ; प्रचंड पुण्यनो उदय थातां, आप्यो हेमने साथ ... ११ बाल ब्रह्मचारी नेमजी... ( राग : जगजीवन जगवालहो..., नेमिजिन पंचकल्याण स्तवन ) बाल ब्रह्मचारी नेमजी, शिवादेवीनो नंद लाल रे, निर्विकारी निरमल, धरिया गुण अनेक लाल रे... १ आसो वद बारसे प्रभु, अवतर्या मातनी कूखे लाल रे, श्रावण सुद पंचमी वळी, जन्म्या शौरीपुरी गाम लाल रे... २ दस धनुषनी देहडी, श्यामल वर्ण अंग लाल रे, श्रावण सुद छठे विभु, व्रत गहे सहसावन लाल रे... ३ भादरवा वदि अमास दिने, पाम्या ज्ञानप्रकाश लाल रे, अषाढ सुदि आठमे जिन, वरिया शिवपुरवास लाल रे... ४ आयुवरस हजार रही, जगमां वल्लभ थाय लाल रे, हेम स्तवे भावे भजो, कल्याणक ते पंच लाल रे....५ ૧૪૧
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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