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चौदे चैत्यना दर्शन पामी,
लळी लळी लागुं पाय (२)
गजपदकुंडनुं जल फरसता,
अंतर भीनुं थाय (२) जिनवर केरी भक्ति करता, पापो दूर पलाय...
चोवीसजिनना पावन पगलां,
गौमुख गंगामांय (२)
रहनेमिना दर्शन करीने,
अंबाटूक जवाय (२) अंबाजीमां शांबजीना, चरण बे सोहाय...
चोथी टूंके गोरख जाता,
प्रद्युम्न पाद देखाय (२)
चोतरफ अवलोकन करतां,
आनंद अति उभराय (२) पांचमी ट्रंके नेमप्रभुजी, मुक्तिगामी थाय... ६. नेमीश्वर ज्यां व्रत ग्रहीने,
पाम्या केवल सार (२)
राजीमतीजी शिववर्या ते,
. सहसावन मनोहर (२)
घाती-अघाती कर्मों खपावी, पहोंता मुक्ति मोजार... अनंतजिन कल्याणक जाणो,
पावन गढ गिरनार (२)
गुणला ए रैवतगिरिना
कहेता न आवे पार (२)
वदे त भावे भजीलो, दादा छे उदार...
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