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रैवतगिरिवर बीजे आरे, षट्दस मान धरे... वंदो...
स्वर्णगिरि अभिधा चोथे आरे, योजन दसनो बने... वंदो... प्रभु शासन तिहा प्रवर्ते, धर्मनी हेली वहे... वंदो...
बे योजन मान गिरनारनुं रे, नेमि भजो पंचमे... वंदो... छठे आरे नंदभद्र नामे, शतधनु ते रहे रे....
विविध अभिधा एम धरे रे गिरिगुण हेम करे... वंदो... रूडा रूडा गिरनारना शिखरो...]
(राग - ऊंचा ऊंचा शत्रुज्यना शिखरो..) . (मेरा जीवन कोरा कागझ) रुडा रुडा गिरनारना शिखरो सोहाय (२)
वच्चे मारा दादा केरा, देराओ देखाय... रुडा रुडा... ||. . आदिश्वरना दरशन करी,
तलेटीए लागुंपाय (२) नेमजीना चरण नमीने,
मनई मारुं धाय (२) ए गिरिवरखें ध्यान धरतां, भवचोथे शिव थाय... | एक एक पगले प्रभु समरतां,
नाचे मननो मोर (२) : श्वासेवासेजपुंजिनने
पगमां आवे जोर (२) तीर्थकरो सिध्या अनंता व्रतनाण पामी दोय... पहेली ढूंके देवकोट मांहे,
नेम प्रभु देखाय (२) नयां मारा धन्य बनेने,
हैये हर्ष न माय (२) मानवभवनो ल्हावो लइने फेरो सफलो थाय...
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