SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्यां चडाण आकरा आवे, दादानी याद सतावे; जपतां हैये हाश मोटी थाय छे... सौ.७, ज्यां पहेली टूके जातां दहेराना दर्शन थातां; प्रभुने जोवा हैयुं घेलूं थाय छे... सौ.८, चोवीसी मांहे, सागरप्रभुना काळे; ज्यां अतीत इन्द्रे भरावेल मूरतना दर्शन थाय छे... सौ . ९, ज्यां शत त्रणं पगला चडतां, गौमुखी ए पाद धरतां; चोवीस प्रभुनां पगलां पावनकार छे... सौ . १०, ज्यां अंबा- गोरख जातां, शांबप्रद्युमनना पगला देखातां; नमन करतां सौ आगळ चाली जाय छे... सौ . ११, ज्यां पांचमी टूंके पहोतां, मोक्षकल्याणक प्रभुनुं जोतां; रोमेरो आनंद अपार छे... सौ . १२, ज्यां सहसावने जातां दीक्षा-नाण प्रभुना थातां; पगले पगले कोयलना टहूकार छे... सौ . १३, ज्यां जिनशासनना पाने, प्रथमचोमासुं तळेटी थावे; छत्रछाया हिमाशुं सूरि राय छे... सौ . १४, ज्यां वीर छव्वीससो वरसे, हेम नव्वाणुं वार फरशें ; प्रेम-चंद्र-धर्म नी पसाय छे... सौ.१५, ,, , वंदो गिरनारने रे.. (राग - पूजो गिरिराजने रे ... ) वंदो गिरनारने रे... पूजो गिरनार ने रे... ए गिरिवरनो महिमा मोटो, कहेता नावे पार... रे... वंदो... अवसर्पिणीना छ आरे रे, विधविध नाम घरे... वंदो... छव्वीस योजन पहेले आरे, कैलासगिरि जे कहे... वंदो... उज्जयंत नामे वीस योजननो, बीजे ते आरे रहे... वंदो .... 936
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy