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पशुतणो पोकार सुणीने, रथ पाछो वाळ्यो (२) ध्रुसके रुवे राजुलबाला, धरणी पर छे धराणी (२) नेमजी रे पाछा वळीने, तिहा दीधुंवरसीदान... कुंवारी...३ पंचावन में दिन प्रभुजी, पाम्या केवल ज्ञान (२) सुणी वधामणी राजुलबाला, प्रभुजीने चरणे जाय (२) नेमजी रे दीक्षा आपी कर्म खपावी, मुक्तिपुरीमा जाय... कुंवारी... ४ केवल कल्याणक जे कोइ गाशे, लेशे मुक्तिनु राज (२) नेमजी पहेला पहोंची राजुल, मुक्तिने गोतवा जाय (२) नेमजी रे हीर विजय गुरु, हीरलोने वीर विजय गुणगाय... कुंवारी... ५
| गिरनार नेमिनाथ अर्वाचीन स्तवन विभाग
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(राग - सौ चालो सिध्धगिरि जइए...)
सौ चालो गिरनार जइए, प्रभु भेटी भवजल तरीये;
. सोरठ देशे तरवार्नु मोटु जहाज छे... सौ.१, ज्यां सन्यासीओ बहु होवे, धर्मभावथी गिरिवर जोवे;
' एवं सुंदर जूनागढ गाम छे... सौ.२, ज्यां गिरनार द्वार आवे, विविध भावना सौ भावे;
एवं मोहक रणीयामणुं आ स्थान छे... सौ,३, ज्यां तणेटी समीपे जातां, आदेश्वरना दर्शन थाता;
धर्मशाळा ने बगीचो अभिराम छे... सौ.४, ज्यां गिरि चढतां जमणे, अंबा सन्मुख उगमणे;
सस्तके पगलां प्रभु नेमिकुमारना छे... सौ.५, ज्यां गिरि चढंता भावे, भव्यात्मा कर्म खपावे;
एवो मारग मुक्तिपुरी जाय छे... सौ.६,
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