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________________ पल पल तारं स्मरण.... __. (राग : अक घडी प्रभु उर अकांते) पल पल तारुं स्मरण हो जीवनमां, निशिदिन दर्शन मले, माएं जीवन धन्य बने, मारा भवनुं भ्रमण टळे... माएं... गिरनारतीर्थनो वासी व्हालो, महिमा अपरंपार, तीर्थंकरो सिध्या अनंता, पाम्युं सिद्धपद सार... माउं... २ तारा दर्शन काजे दादा, नित्य संवारे दोडु, ओक वेळा मनमंदिर पधारो, अंतर द्वार खोलुं... माएं... __आंखडी तारी कमळ पांखडी, अद्भुत रुप सोहे, तारुं मुखडं जोतां माएं, हैयुं गद्गद् बने... माएं... ४ खाली हाथे आव्या सौने, खाली हाथे जावं, - आ जीवनमां तुजने पामी, तारा गुणला गा... माएं... ५ आ भव परभव अटलुं मांगु, तारुं शरण मळे, __ना रहे कोई द्वेष जीवनमां, ना क्यांय राग रहे... माएं... ६ तारे द्वारे आव्यो छु हुं, संचित कर्मो लईने, तपानलना तापे आतम, हेम सुशुद्ध बने... माई... - %3 माता शिवादेवीना नंद... (राग : माता मरुदेवीना नंद) • माता शिवादेवीना नंद, सती राजीमतीना कंत; निरखी ताहरु मुखडु, माएं हैयुं भीजाणुं रे के मारुं चित्तडं चोराणुं रे... १ अंतानी अंतर्दशी, काया श्यामल वान; शंखलंछनधर स्वामिजीरे, दास धनु काय प्रमाण... २ - - - - ૧૬૯
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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