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________________ (११) नेमि जिनेश्वर राग : सिध्धारथना रे नंदन नेमि जिनेश्वर नमीए नेहशुं, ब्रह्मचारी भगवान; पांच लाख वरस- आंतरू, श्याम वरण तनुवान.१ कारतिक वदि बारस चविया प्रभु, माता शिवादे मल्हार; जनम्या श्रावण सुदिपांचम दिने, दश धनुष काया उदार.२ श्रावण सुदि छठे दीक्षा ग्रही, आसो अमासे रे नाण; अषाढ सुदि आठमे सिध्धि वर्या, वरस सहस आयु प्रमाण.३ हारि पटराणी शांब प्रद्युम्न वली तिम वसुदेवनी नार; गजसुकुमाल प्रमुख मुनिराजीया, पहोंचाड्या भवपार. ४ राजीमती प्रमुख परिवारने, तार्यो करूणा रे आण; पद्मविजय कहे निज पर मत करो, मुज तारो तो प्रमाण. ५ - (१२) अरजी सुनलो . रागः मेरा जीवन कोरा अरजी सुनलो हो नेम नगीना, राजुलना भरथार, भजलो भजलो हो जगना प्राणी, भजो सदा किरतार... अरजी १ जान लइने आव्या त्यारे, हर्ष तणो नहि पार, पशुतणो पोकार सुणीने, पाछा वळ्या तत्काळ... अरजी २ राजुल गोखे राह नीरखती, रडती आंसुधार, पियुजी मारा केम रिसायां, मुज हैयाना हार... अरजी ३ नेम बन्यां तीर्थंकर स्वामी, बावीशमा जिनराज, माया छोडी मनईं साध्युं, नमो नमो शिरताज... अरजी ४ ।। - १२
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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