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सत्यभामा वर लइ हलधर, तोरण किणही पठायाजी, ऋषभादिक जिनथी तुं अधिको, कहत शिवा सुण जायाजी, चारित्र लेइ चोपनमें दिन, केवलज्ञान उपायाजी, चउविह देव मली मन रंगे, समवसरण विरचायाजी, बारह पर्षदामांही बेसी, बहुजन धर्म बतायाजी, शासन पामी त्रिभुवन स्वामी, आपे मुगते संधायाजी, ३. यदुनायक श्री नेमि जिनेश्वर यादववंश दिपायाजी, राजुलनारी पियुने प्यारी, लेइ मुगति राखी मायाजी, जगदंबा अंबा रखवाली, शासन देवी ठायाजी, माय मया करी संध विघनहर, भाणविजय गुणगायाजी. ४
(१९) राग : नेत्रानंदकरी भवोदधि - तरी
चिक्षेपोजितराजकं रणमुखे यो लक्षसंख्यं क्षणा, दक्षामं जन भासमानम हसं राजीमतीतापदम्, तं नेमीं नम नम्र निर्वृतिकरं चक्रे यदूनां च यो, दक्षामंजनभासमानमहसं राजीमतीता पदम् (१)
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प्रावाजीज्जितराजका रजइव ज्यायोऽपि राज्यं जवाद, या संसारमहोद्रधावपि हिता शास्त्री विहायोदितम् यस्याः सर्वत एव सा हरतु नो राजी जिनानां भवा, यासंसारमहो दधाव पिहिता शास्त्री विहायोदितम् ....(२)
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