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यादव कुलमंडण, नेमिनाथ जगनाथ, त्रिभुवन जगमोहन, शोभन शिवपुर साथ; गिरनार शिखर शिर, दीक्षा-नाण-निर्वाण, शौरिपुरि नगरे च्यवन जनम सुखकार. १ इम भरते पंचे, ऐरवते बलसार, . चोवीसे जिननां, थाये जिन आधार, तस पंच कल्याणक वंदे पूजे जेह, निरूपम सुख संपत्ति, निश्चे पामे तेह, .२ जिनमुखे लही त्रिपदी, वली आगम गुंथ्या जेह, वर अंग अग्यार. दृष्टिवाद गुणगेह; त्रण काले जिनवर, कल्याणक विधि तेह, समकित थीर कारण, सेवो धरिय सनेह. ३ श्री नेमिजिनेश्वर, शासन विनये रत्त, जिनवर कल्याणक, आराधक भविचित्त देवचंद्रने शासन, सानिध्य करे नित मेव, समरीजे अहनिश, सा अंबाइ देव. ४
__ (१८) अमर किन्नर ज्योतिषधर, नर अभिवंदित पायाजी, समुद्रविजय कुल कानन जलघर, श्यामल वर्णजस कायाजी, जय यदुनंदन मदन विगंजन, चंदन वचन सुहायाजी, नेम निरंजन नयन नलीनदल, पावन शिव सुख दायाजी, १. जय राजुलवर करूणासागर, पुन्यपवित्रं तुज कायाजी, राजुल रढीयाली लटकाली, छोडी चाल्यो तजी मायाजी,