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________________ 2 हमारे यहाँ एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है 'मन के जीते जीत है, मन के हारे हार' यानि जिसने अपने मन को जीत लिया समझो उसने संसार को जीत लिया और जो अपने मन से ही हार गया समझो वह सारी दुनियाँ से हार गया क्योंकि जो अपने मन को ही नहीं जीत पाया वो भला दुनियाँ को क्या जीत पाएगा ? और दुनियाँ भले ही जीत. ले जब तक वो अपने मन को न जीत पाएगा तब तक उसकी हर जीत अध्यात्म दृष्टि से हार ही होगी। मन के विषय में प्रकाश डालते हुए जैन धर्म दिवाकर प्रवर्त्तक श्री अमर मुनि जी महाराज कहते हैंप्यारी आत्माओं ! प्रभु महावीर ने फरमाया है जिसने एक को जीत लिया उसने पाँच को जीत लिया, जिसने इन छहों को जीत लिया उसने दस को जीत लिया। आप कहेंगे-महाराज ये पहेली कुछ समझ नहीं आई । आओ इसे समझने का प्रयास करें। जिसने एक यानि मन को जीत लिया समझो उसने पाँच इन्द्रियों को जीत लिया और जिसने इन छहों को जीत लिया समझो उसने चार कषाय यानि क्रोध, मान, माया और लोभ को भी जीत लिया। कहने का अभिप्राय हमारी साधना का केन्द्र बिन्दु है-मन | कवि ने कहा है : : 11
SR No.002495
Book TitleKaise Kare Is Man Ko Kabu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherGuru Amar Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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