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[471] त्रयस्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
सम्मत्तं चेव मिच्छत्तं, सम्मामिच्छत्तमेव य। एयाओ तिन्नि पयडीओ, मोहणिज्जस्स दंसणे ॥ ९ ॥
(१) सम्यक्त्व, (२) मिथ्यात्व और (३) सम्यक्त्व मिथ्यात्व - ये तीन प्रकृतियाँ दर्शनमोहनीय कर्म की हैं ॥ ९ ॥
The three sub-classes of perception/faith deluding karma are-(i) right perception/ faith deluding, (ii) wrong perception/faith, and (iii) right-wrong (mixed) perception/ faith deluding. (9)
चरित्तमोहणं कम्मं, दुविहं तु वियाहियं । कसायमोहणिज्जं तु, नोकसायं तहेव य ॥ १० ॥
चारित्रमोहनीय कर्म के दो भेद कहे गये हैं- (१) कषायमोहनीय, और (२) नोकषायमोहनीय ॥१०॥ There are two sub-divisions of conduct deluding karma - (i) passion (kashaya) deluding, and (ii) auxiliary passion (no-kashaya) deluding. (10)
सोलसविहभेएणं, कम्मं तु कसायजं ।
सत्तविहं नवविहं वा, कम्मं नोकसायजं ॥ ११ ॥
कषाय मोहनीय कर्म के सोलह भेद हैं। सात अथवा नौ प्रकार का नोकषाय मोहनीय कर्म है ॥ ११ ॥ Passion deluding karma has sixteen sub-classes and auxiliary passion deluding karma has seven or nine types. (11)
नेरइय-तिरिक्खाउ, मणुस्साउ तहेव य । देवाउयं चउत्थं तु, आउकम्मं चउव्विहं ॥ १२ ॥
(१) नैरयिक आयु, (२) तिर्यग् आयु, (३) मनुष्य आयु, और (४) देव आयु-इस तरह आयुक चार प्रकार का है ॥ १२॥
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Life-span, determining karma has four classes-(i) infernal life-span, (ii) animal life-span, (iii) human life-span, and (iv) divine life-span. ( 12 )
नामं कम्मं तु दुविहं, सुहमसुहं च आहियं ।
सुहस्स उ बहू भैया, एमेव असुहस्स वि ॥ १३ ॥
नामकर्म दो प्रकार का है - (१) शुभ नामकर्म, और (२) अशुभ नामकर्म । शुभ नामकर्म के बहुत भेद हैं, इसी तरह अशुभ नामकर्म के भी बहुत भेद हैं ॥ १३ ॥
Body type determining karma is of two kinds - ( i ) noble, and (ii) ignoble. Both these have several sub-classes. (13)
गोयं कम्मं दुविहं, उच्चं नीयं च आहियं ।
उच्चं अट्ठविहं होइ, एवं नीयं पि आहियं ॥ १४ ॥
गोत्रकर्म दो प्रकार है- (१) उच्च गोत्रकर्म, और (२) नीच गोत्रकर्म । उच्च गोत्रकर्म आठ प्रकार का है, इसी तरह नीच गोत्रकर्म भी आठ प्रकार का बताया गया है ॥ १४ ॥