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________________ [469] त्रयस्त्रिंश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र मोहनीय पायमोहनीय/ मोहनीय तिथंग आय दर्शन मोहनीय स. मि.मोहनीय -अलात वेदनीय चारित्र मोहमीवर औयिक आयुत्र मोहनीय सात वेदनीय - वेदनीय शुभमान Kअशुभ मान VKMANDU अवधि मिावत अन्यो दर्शनावरण बनिावरल Hindellajaalsar -सुवर्शनावल्य अवधि स्दानान्तराय कर्म-वृक्ष- -ज्ञानावरण "अन्तराय साभातराय ladainine मनःपर्यवशानावरण पीम्तिहाय राग कवाय कर्मवृक्ष आत्मा का राग-द्वेष मूलक कषाय रंजित परिणाम कर्म वृक्ष का मूल है। कर्मों की मूल प्रकृतियाँ ज्ञानावरण आदि आठ हैं उत्तर प्रकृतियाँ (क्रमशः 148 अथवा 158 मानी गई हैं) ज्ञानावरण की 5, दर्शनावरण की 9, वेदनीय की 2, मोहनीय की 28, आयुष्य की 4, नामकर्म की (मूल 2) (अवान्तर 93 अथवा 103), गोत्रकर्म की 2, अन्तराय कर्म की 5। इस तरह कुल 148 हैं। कर्मों की स्थिति-ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय और अन्तराय कर्म की जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट 30 कोटाकोटि सागरोपम। मोहनीय की-ज. अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट 70 कोटाकोटि सागरोपम। आयुकर्म की-ज. अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट 33 सागरोपम। नाम और गोत्र कर्म की-ज. 8 मुहूर्त, उत्कृष्ट 20 कोटाकोटि सागरोपम।
SR No.002494
Book TitleAgam 30 mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages726
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size28 MB
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