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[423] एकत्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in
जो भिक्षु दिव्य (देवकृत), मनुष्यकृत, तिर्यंचकृत उपसर्गों को सदा समभाव से सहता है, वह मण्डल (संसार) में नहीं रहता ॥ ५ ॥
The ascetic, who endures afflictions caused by divine beings, humans and animals with equanimity, does not stay in the cycle. (5)
विगहा-कसाय-सन्नाणं, झाणाणं च दुयं तहा।
जे भिक्खू वज्जई निच्चं, से न अच्छइ मण्डले॥६॥ ___ जो भिक्षु चार प्रकार की विकथाओं, चार कषायों, चार संज्ञा और दो दुानों (आर्त-रौद्र ध्यान) का सदा वर्जन-त्याग करता है, वह संसार में परिभ्रमण नहीं करता-नहीं रहता॥ ६॥ ___The ascetic who renounces four types of opprobrium (vikatha), four passions, four types of obsessions (sanjna) and two ignoble mental states (durdhyan), does not stay in the cycle. (6)
__वएसु इन्दियत्थेसु, समिईसु किरियासु य। .
जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मण्डले॥७॥ जो भिक्षु व्रतों (पाँच महाव्रतों) तथा पाँच समितियों के पालन में और पंचेन्द्रिय विषयों तथा (बन्धनकारी) क्रियाओं के परिहार में सदा यतनाशील रहता है, वह संसार में नहीं रहता॥७॥
The ascetic who is always careful in observing vows (five great vows), circumspections (five) and in renouncing subjects and activities of five senses (pleasures that cause bondage), does not stay in the cycle. (7)
लेसासु छसु काएसु, छक्के आहारकारणे।
जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मण्डले॥८॥ जो भिक्षु छह प्रकार की लेश्याओं में, छह काया (पृथ्वी आदि छह काय के जीव) तथा आहार (ग्रहण करने-न करने) के छह कारणों में सदा यतना का पालन करता है, वह संसार में नहीं रहता ॥८॥
__ The ascetic, who is always careful about six types of soul-complexions (leshyas), six bodies (six kinds of bodied beings including earth-bodied beings), six reasons for food (to be or not to be taken) does not stay in the cycle. (8)
पिण्डोग्गहपडिमासु, भयट्ठाणे सु सत्तसु।
जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मण्डले॥९॥ जो भिक्षु (सात) पिण्ड (एषणाओं), (सात) अवग्रह प्रतिमाओं और सात भयस्थानों में सदा यतनाशील (उपयोगयुक्त) रहता है, वह संसार में नहीं ठहरता-परिभ्रमण नहीं करता ॥९॥
The ascetic who is always careful (in observing) about seven codes of collecting food, seven codes of resolution and seven sources of fear does not stay (transmigrate) in the cycle. (9)
मयेसु बम्भगुत्तीसु, भिक्खुधम्मंमि दसविहे। जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मण्डले॥१०॥