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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
संक्षेप से इत्वरिक तप छह प्रकार का है- (१) श्रेणि तप, (२) प्रतर तप, (३) घन तप, (४) वर्ग तप, (५) वर्ग-वर्ग तप, और (६) प्रकीर्ण तप ॥ १० ॥
Briefly speaking, temporary fasting austerity is of six kinds-1. in the form of numerical arrangement of a chain or line (shreni - tap), 2. in the form of square (prataratap), 3. in the form of cube or third power (ghan-tap), 4. in the form of square of cube or sixth power (varg-tap), 5. in the form of square of the preceding or twelfth power (vargvarg-tap), and 6. of any other numerical arrangement (prakirna tap ). ( 10 )
त्रिंश अध्ययन [ 408]
तत्तो य वग्गवग्गो उ, पंचमो छट्ठओ पइण्णतवो । मणइच्छिय-चित्तत्थो, नायव्वो होइ इत्तरिओ ॥ ११ ॥
इस प्रकार मनवांछित विचित्र (स्वर्ग-अपवर्ग आदि अनेक ) प्रकार के फल देने वाला इत्वरिक ( अनशन) तप होता है, यह जानना चाहिए ॥ ११ ॥
Know that the aforesaid austerity of temporary fasting bestows various strange boons (like rise to heavens and liberation). (11)
जसा असणा मरणे, दुविहा सा वियाहिया । सवियार - अवियारा, कायचिट्ठं पई भवे ॥ १२ ॥
जो मृत्यु समय में अनशन होता है, वह काय चेष्टा के आधार पर दो प्रकार का कहा गया है - ( १ ) सविचार ( करवट बदलने आदि काय चेष्टाओं सहित), और (२) अविचार ( काय चेष्टारहित) ॥ १२॥
The austerity of fasting till death is of two kinds (with respect to movement of body to take a different position ) - 1. with change (savichaar), and 2. without change (avichaar). (12)
अहवा सपरिकम्मा, अपरिकम्मा य आहिया । नीहारिमणीहारी, आहारच्छेओ य दोसु वि ॥ १३ ॥
अथवा मरणकाल अनशन के (१) सपरिकर्म, और (२) अपरिकर्म- ये दो भेद हैं। अविचार अनशन के (१) निर्हारी, और (२) अनिर्हारी - ये दो भेद भी होते हैं। लेकिन इन दोनों में ही आहार का त्याग होता है ॥ १३॥
Also, austerity of fasting till death is of two kinds-1. admitting relief by taking service from others (saparikarma), and 2. without relief (aparikarma). Without change (of body position) austerity is also of two kinds-1. change of place (nirhaari), and 2. no change of place (anirhaari ). However, in both the cases food cannot be taken. (13)
ओमोयरियं पंचहा, समासेण वियाहियं । व्वखेत्-कालेणं, भावेणं पज्जवेहि य ॥ १४ ॥
अवमौदर्य (ऊनोदरी) संक्षेप में पाँच प्रकार का बताया गया है (यह ) - (१) द्रव्य, (२) क्षेत्र, (३) काल, (४) भाव, (५) पर्यायों की अपेक्षा से पाँच प्रकार का है ॥ १४ ॥