________________
[13] प्रथम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
पुज्जा जस्स पसीयन्ति, संबुद्धा पुव्वसंथुया।
पसन्ना लाभइस्सन्ति, विउलं अट्ठियं सुयं ॥४६॥ शिष्य की विनम्रता आदि से परिचित हुए आचार्य आदि गुरुजन उस पर प्रसन्न होकर उसे मोक्ष का लाभ देने वाला अर्थगंभीर विपुल ज्ञान प्रदान करते हैं। ४६ ॥
On being aware of modesty and other qualities of a disciple, the seniors including the acharya get pleased with him and happily bestow him with the vast and profoundly meaningful knowledge that leads to liberation. (46)
स पुज्जसत्थे सुविणीयसंसए, मणोरुई चिट्ठ कम्प-संपया।
तवोसमायारिसमाहिसंवुडे, महज्जुई पंच वयाई पालिया॥४७॥ . ऐसे विनीत शिष्य के शास्त्रीय ज्ञान का संसार में समादर होता है। वह (शिष्य) साध समस्त संशयों से रहित और समस्त कर्म सम्पदा (साधुयोग्य कर्त्तव्य-साधु समाचारी) से युक्त हो जाता है। वह गुरु के मन को प्रियकारी होता है तथा तप के समाचरण एवं समाधि से युक्त रहता है। वह आस्रवों का निरोध (संवृत) करके पाँच महाव्रतों का पालन करता है, महान् तेजस्वी होता है॥ ४७ ॥
The scriptural knowledge of such humble disciple begets respect in the world. That ascetic disciple becomes free of all doubts and gains the wealth of action (karma sampada or ascetic praxis). He becomes the source of happiness for the guru and accomplished in proper observation of austerities as well as meditation (samaadhi). He blocks the inflow of karmas and observes five great vows, thereby becoming highly effulgent. (47) .
स देव-गन्धव्व-मणुस्सपूइए, चइत्तु देहं मलपंकपुव्वयं। सिद्धे वा हवइ सासए, देवे वा अप्परए महिड्ढिए॥४८॥
-त्ति बेमि। वह (विनीत शिष्य) देव-मानव-गंधर्वो द्वारा वन्दनीय हो जाता है तथा मल-पंक (रक्त-वीर्य) से निर्मित इस वर्तमान मानव शरीर को त्यागकर या तो शाश्वत सिद्धि प्राप्त करता है अथवा अल्पकर्म वाला महर्द्धिक देव बनता है॥ ४८॥
-ऐसा मैं कहता हूँ। ___He (the humble disciple) becomes venerable to gods, humans and gandharvas (a class of gods). On abandoning the existing human body made up of dirt and slime (blood and semen) he either attains state of eternal perfection (siddhi) or a highly opulent divine being (Mahardhik Dev) with a low load of karmas. (48)
-So I say.