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[389] एकोनत्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(A). By acquisition of all virtues a being gains non-rebirth (liberation). After gaining non-rebirth a being (soul) remains untouched by physical and mental miseries.
सूत्र ४६-वीयरागयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
वीयरागयाए णं नेहाणुबन्धणाणि, तण्हाणुबन्धणाणि य वोच्छिन्दइ। मणुन्नेसु सद्द-फरिसरस-रूव-गन्धेसु चेव विरज्जइ॥
सूत्र ४६-(प्रश्न) भगवन् ! वीतरागता से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) वीतरागता से जीव स्नेह और तृष्णा के अनुबन्धनों को तोड़ देता है-विच्छिन्न कर देता है। मनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध से भी विरक्त हो जाता है।
Maxim 46 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by detached state (vitaragata)?
(A). By detached state a being shatters the ties of affection and craving and becomes apathetic even to pleasant sound, touch, taste, appearance and smell.
सूत्र ४७-खन्तीए णं भन्ते ! जीवे किंजणयइ ? खन्तीए णं परीसहे जिणइ॥ सूत्र ४७-(प्रश्न) भगवन् ! शान्ति (क्षमा) से जीव को क्या प्राप्त होता है? (उत्तर) क्षान्ति (क्षमा-तितिक्षा) से जीव परीषहों को जीतता है।
Maxim 47 (Q). Bhante ! What does ajiva (soul/living being) obtain by forgiveness (kshanti)? .
(A). By forgiveness, a being wins over afflictions. सूत्र ४८-मुत्तीए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? मुत्तीए णं अकिंचणं जणयइ। अकिंचणे य जीवे अत्थलोलाणं अपत्थणिज्जो भवइ॥ सूत्र ४८-(प्रश्न) भगवन् ! मुक्ति से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) मुक्ति (निर्लोभता) से जीव अकिंचनता (निष्परिग्रहता) को प्राप्त करता है। अकिंचन जीव अर्थलोलुपी व्यक्तियों के द्वारा अप्रार्थनीय हो जाता है।
Maxim 48 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by absence of greed (nirlobhata)?
(A). By absence of greed a being becomes non-possessive. Due to this nonpossessiveness he becomes unsought for by the covetous.
सूत्र ४९-अज्जवयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
अज्जवयाए णं काउन्जुययं, भावुज्जुययं, भासुज्जुययं अविसंवायणं जणयइ। अविसंवायण-संपन्नयाए णं जीवे धम्मस्स आराहए भवइ॥
सूत्र ४९-(प्रश्न) भगवन् ! ऋजुता से जीव को क्या प्राप्त होता है?