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[387] एकोनत्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(A). By renouncing help, a being attains the state of solitariness. On attaining the state of solitariness the being continues to enhance the feeling and becomes reticent, avoids verbal disputation, remains far from quarrels, reduces passions and squabbling to raise his level of blockage of influx of karmas, restraint and serenity (meditation). सूत्र ४१ - भत्तपच्चक्खाणेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
भत्तपच्चक्खाणेणं अणेगाइं भवसयाइं निरुम्भइ ।
सूत्र ४१ - ( प्रश्न) भगवन् ! भक्त- प्रत्याख्यान से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) भक्त-प्रत्याख्यान (भक्त परिज्ञा रूप आमरण अनशन - संथारा) से जीव अनेकों भवों को रोक देता है।
Maxim 41 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by renouncing all meals (bhakt-pratyakhyan)?
(A). By renouncing all meals (fasting till death; the ultimate vow of santhara or . sallekhana) prevents his numerous rebirths.
सूत्र ४२ – सब्भावपच्चक्खाणेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
सब्भावपच्चक्खाणेणं अनियट्टिं जणयइ । अनियट्टिपडिवन्ने य अणगारे चत्तारि केवलिकम्मंसे खवेइ। तं जहा-वेयणिज्जं, आउयं, नामं, गोयं । तओ पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाएइ, सव्वदुक्खाणमन्तं करेइ ॥
सूत्र ४२ - ( प्रश्न) भगवन् ! सद्भाव ( सर्व संवर रूप शैलेशी भाव) प्रत्याख्यान से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) सद्भाव प्रत्याख्यान से जीव अनिवृत्ति (शुक्लध्यान का चतुर्थ - अन्तिम भेद) को प्राप्त करता है | अनिवृत्ति - प्रतिपन्न अनगार केवली कर्मांश (केवली के शेष रहे हुए) वेदनीय, आयु, नाम, गोत्र कर्मों के अंशों (इन भवोपग्राही कर्मों) का क्षय करता है। तत्पश्चात् वह सिद्ध होता है, बुद्ध होता है, मुक्त होता है, परिनिर्वाण को प्राप्त होता है और सभी दुःखों का अन्त करता है ।
Maxim 42 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by perfect renunciation (sadbhaava-pratyakhyan) ?
(A). By perfect renunciation a being attains the state of no return (anivritti; the fourth level of pure meditation or shukladhyana). Attaining the state of no return an ascetic destroys the remnants of karmas clinging even to an omniscient. These remaining portions of karmas include those of Vedaniya (karma that causes feelings of happiness or misery), Ayushya (karma that determines the span of a given lifetime), Naam ( karma that determines the destinies and body types), and Gotra (karma responsible for the higher or lower status of a being). After that he becomes perfect (Siddha), enlightened (Buddha), liberated (mukta), gains nirvana and ends all miseries.
सूत्र ४३ - पडिरूवाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?