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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(उत्तर) सुख-शात (वैषयिक सुखों की स्पृहा के शातन-निवारण - उपशान्तता) से ( विषयों के प्रति) अनुत्सुकता होती है, अनुत्सुकता से जीव अनुकम्पाशील, अनुद्धत (अणुब्भड) तथा विगतशोक-शोकरहित होकर चारित्रमोहनीय कर्म का क्षय करता है।
[383] एकोनत्रिंश अध्ययन
Maxim 30 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul living being) obtain by renouncing craving of pleasures (sukhashaat ) ?
(A). By renouncing craving of (sensual) pleasures a being becomes uncurious (about subjects of sense organs). Thereby he becomes compassionate, serene (anuddhat) and free of grief. As a consequence he destroys the conduct-deluding karma (Chaaritramohaniya karma).
सूत्र ३१ - अप्पडिबद्धयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
rusबद्धया णं निस्संगत्तं जणय । निस्संगत्तेणं जीवे एगे, एगग्गचित्ते, दिया य राओ य असज्जमाणे, अप्पडिबद्धे यावि विहरइ ॥
सूत्र ३१ - ( प्रश्न) भगवन् ! अप्रतिबद्धता से जीव क्या प्राप्त करता है ?
(उत्तर) अप्रतिबद्धता ( आसक्तिरहितता) से जीव निस्संग होता है। निस्संगता से वह एकाकी - अकेला ( आत्मनिष्ठ) एकाग्र चित्त वाला होकर दिन और रात सदा सर्वत्र विरक्त और अप्रतिबद्ध होकर विचरण करता है ।
Maxim 31 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by freedom from obsession (apratibaddhata ) ?
(A). By freedom from obsession a being becomes free of company. This freedom from company makes him solitary (introvert) and mentally focused. Then he wanders day and night, always and everywhere detached and unbridled.
सूत्र ३२ - विवित्तसयणासणयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
विवित्तसयणासणयाए णं चरित्तगुत्तिं जणयइ । चरित्तगुत्ते य णं जीवे विवित्ताहारे, दढचरित्ते, गन्तरए, मोक्खभावपडिवन्ने अट्ठविहकम्मगंठिं निज्जरे ॥
सूत्र ३२ - ( प्रश्न) भगवन् ! विविक्त शयनासन से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) विविक्त शयनासन (जन - कोलाहल तथा स्त्री- पशु- नपुंसक से असंसक्त, एकान्त, शान्त स्थान) के सेवन से जीव चारित्र गुप्ति चारित्र की रक्षा करता है । चारित्र की रक्षा करने वाला विविक्ताहारी (पौष्टिक भोजन का त्याग करने वाला) दृढ़ चारित्री, एकान्तप्रिय, मोक्षभाव - प्रतिपन्न जीव आठ प्रकार के कर्मों की ग्रन्थि की निर्जरा करता है ।
Maxim 32 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by using unfrequented lodging and bed (viviktashayanasan-sevan ) ?
(A). By using unfrequented lodging and bed (free of noise and uninhabited by women, eunuchs and animals, lonely and peaceful) a being accomplishes restraint of conduct. A being with restraint of conduct survives on bland food (discarding rich food), loves solitude and is overwhelmed with desire for liberation; thereby he sheds the bondage of eight types of karmas.