________________
In सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकोनत्रिंश अध्ययन [ 382 ]
सूत्र २७-संजमेणं भन्ते ! जीवे किंजणयइ ? संजमेणं अणण्हयत्तं जणयइ॥ सूत्र २७-(प्रश्न) भगवन् ! संयम से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) संयम (पालन करने) से जीव अनास्रवत्व (आते हुए नवीन कर्मों के निरोध) को प्राप्त करता है।
Maxim 27 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by restraint (samyam)?
(A). By (practicing) restraint a being accomplishes blockage of inflow of new karmas. सूत्र २८-तवेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? तवेणं वोदाणं जणयइ॥ सूत्र २८-(प्रश्न) भगवन् ! तप से जीव क्या प्राप्त करता है? (उत्तर) तप से जीव (पूर्वसंचित कर्मों की निर्जरा करके) व्यवदान (विशुद्धि) को प्राप्त करता है।
Maxim 28 (Q). Bhante! What does ajiva (soul/living being) obtain by austerities (tap)2
(A). By austerities a being (sheds karmas accumulated in the past and thereby) attains spiritual purity.
सूत्र २९-वोदाणेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
वोदाणेणं अकिरियं जणयइ। अकिरियाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइए, सव्वदुक्खाणमन्तं करेइ॥
सूत्र २९-(प्रश्न) भगवन् ! व्यवदान से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) व्यवदान से जीव को अक्रियता (मन-वचन-काय योगों की प्रवृत्ति से रहितता) प्राप्त होती है। अक्रियता होने के उपरान्त वह सिद्ध होता है, बुद्ध होता है, मुक्त होता है, परिनिर्वाण को प्राप्त होता है और सम्पूर्ण दुःखों का अन्त (विनाश) कर देता है।
Maxim 29 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by purification through shedding accumulated karmas (vyavadaan)? "
(A). By purification through shedding accumulated karmas a being gains inaction (absence of indulgence through association of mind, speech and body). After becoming inactive thus he becomes perfect (Siddha), enlightened (Buddha), liberated (mukta), gains nirvana and ends all miseries.
सूत्र ३०-सुहसाएणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
सुहसाएणं अणुस्सुयत्तं जणयइ। अणुस्सुयाए णं जीवे अणुकम्पए, अणुब्भडे, विगयसोगे, चरित्तमोहणिज्जं कम्म खवेइ॥
सूत्र ३०-(प्रश्न) भगवन् ! सुख-शात से जीव क्या प्राप्त करता है?