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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
Maxim 10 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by chanting panegyrics of twenty four Tirthankars?
(A). By singing praise of twenty four Tirthankars the soul attains purity of perception/ faith.
एकोनत्रिंश अध्ययन [ 376 ]
सूत्र ११ – वन्दणएणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
वन्दणएणं नीयागोयं कम्मं खवेइ | उच्चागोयं निबन्धइ । सोहग्गं च णं अप्पडिहयं आणाफलं निव्वत्तेइ, दाहिणभावं च णं जणयइ ॥
सूत्र ११ – (प्रश्न) भगवन् ! वन्दना से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) वन्दना से जीव नीच गोत्र कर्म का क्षय करता है । उच्च गोत्र कर्म का बन्ध करता है। अप्रतिहत सौभाग्य को प्राप्त कर सर्वजनप्रिय होता है। उसकी आज्ञा सर्वत्र स्वीकार की जाती है। वह लोगों से दाक्षिण्य-लोकप्रियता प्राप्त करता है।
Maxim 11 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul/ living being) obtain by paying homage (vandana)?
(A). By paying homage a being destroys the karma.responsible for lower status (neech gotra karma) and attracts bondage of karma responsible for higher status (uchcha gotra karma). He begets undiminished good fortune to gain mass popularity. His authority is accepted everywhere and he gains general goodwill.
सूत्र १२ - पडिक्कमणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
पडिक्कमणेणं वयछिद्दाइं पिइ । पिहियवयछिद्दे पुण जीवे निरुद्धासवे, असबलचरित्ते, पवयणमायासु उवउत्ते अपुहत्ते सुप्पणिहिए विहर ॥
अट्ठसु
सूत्र १२ - ( प्रश्न) भगवन् ! प्रतिक्रमण से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) प्रतिक्रमण से जीव अपने ग्रहण किये हुए व्रतों के छिद्रों (स्खलनाओं- दोषों-अतिचारों) को बन्द कर देता है। व्रतों के छिद्रों को बन्द करनें वाला जीव आस्रवों का निरोध कर देता है, निर्दोष (अशबल) चारित्र का पालन करता है, समिति - गुप्तिरूप आठ प्रवचन - माताओं के पालन में सदा उपयोगयुक्त रहता है। चारित्र में एकरूप (अपुहत्त) होकर संयम में सम्यक्रूप से प्रणिहित-समाहितचित्त होकर विचरण करता है।
Maxim 12 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by critical review and expiation of sins (pratikraman)?
(A). By critical review and expiation of sins a being closes the wholes (slips, faults and transgressions) in vows accepted by him. By closing the holes in vows he blocks the karmic-influx, practices pure conduct, always remains attentive in practicing the eight pravachana-maata (five circumspections and three restraints) and moves about with uniformity of conduct and complete sincerity in restraints.
सूत्र १३ - काउस्सग्गेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?