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[377] एकोनत्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
काउस्सग्गेणं ऽतीय-पडुप्पन्नं पायछित्तं विसोहेइ। विसुद्धपायच्छित्ते य जीवे निव्वुयहियए ओहरियभारो व्व भारवहे, पसत्थज्झाणोवगए, सुहंसुहेणं विहरइ॥
सूत्र १३-(प्रश्न) भगवन् ! कायोत्सर्ग (शरीर के प्रति ममत्व त्याग) से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) कायोत्सर्ग से जीव अतीत (भूतकाल) और वर्तमान के प्रायश्चित्त योग्य अतिचारों का विशोधन करता है और प्रायश्चित्त से विशुद्ध हुआ जीव भार को उतार (हटा) देने वाले भारवाहक के समान शान्त चिन्तामुक्त होकर प्रशस्त (शुभ) ध्यान में लीन हो जाता है तथा सुखपूर्वक विचरण करता है।
Maxim 13 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) get by dissociation from the body (kayotsarg)?
(A). By dissociation from the body (kayotsarg) a being rectifies atonable transgressions of past and present. Thus the soul purified by atonement becomes free of the load of worries (tranquil) like a porter, who has taken off his load and moves about happily engrossed in noble meditation.
सूत्र १४-पच्चक्खाणेणं भन्ते ! जीवे किंजणयइ ? पच्चक्खाणेणं आसवदाराई निरुम्भइ।
सूत्र १४-(प्रश्न) भगवन् ! प्रत्याख्यान (संसार संबंधी विषयों के त्याग) से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) प्रत्याख्यान से जीव आस्रवद्वारों (कर्मबन्ध के हेतुओं) का निरोध कर देता है।
Maxim 14 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul/living being) obtain by formal renunciation (pratyakhyan)?
(A). By formal renunciation a being blocks the channels of karmic-influx. सूत्र १५-थव-थुइमंगलेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
थवथुइमंगलेणं नाण-दसण-चरित्त बोहिलाभं जणयइ। नाण-दसण-चरित्त-बोहिलाभसंपन्ने य णं जीवे अन्तकिरियं कप्पविमाणोववत्तिगं आराहणं आराहेइ॥
सूत्र १५-(प्रश्न) भगवन् ! स्तव-स्तुति-मंगल से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) स्तव-स्तुति-मंगल से जीव को ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूप बोधि (रत्नत्रय) की प्राप्ति होती है। ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूप बोधिलाभ संपन्न जीव अन्त:क्रिया (मुक्ति) अथवा कल्पविमानों (वैमानिक देवों) में उत्पन्न होने के योग्य आराधना का आराधन करता है।
Maxim 15 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by singing panegyrics, hymns and auspicious songs (stava, stuti, mangal)?
___ (A). By singing panegyrics, hymns and auspicious songs (stava, stuti, mangal) a being gains enlightenment (three gems) in the form of right knowledge-perception/faith