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[347] सप्तविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
सत्तावीसइमं अज्झयणं : खलुंकिज्जं सप्तविंश अध्ययन : खलुंकीय
Chapter-27 : ROGUE BULLOCKS
थेरे गणहरे गग्गे, मुणी आसि विसारए । आइ गणिभावम्मि, समाहिं पडिसंध ॥ १॥
स्थविर, गणधर (गच्छाचार्य) गर्ग गोत्रीय गार्ग्य मुनि शास्त्र विशारद थे । वे आचार्य के गुणों से ओत-प्रोत, गणिभावों में स्थित और समाधि में स्वयं को जोड़े हुए थे ॥ १ ॥
Senior ascetic and head of the organization Gargya of Garg clan was a scholar of scriptures. He was highly endowed with virtues of a preceptor (acharya), mature in qualities of a sect-leader and associated with meditation. (1)
वहणे वहमाणस्स कन्तारं अइवत्तई ।
जोए वहमाणस्स, संसारो अइवत्तई ॥ २॥
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शकट आदि वाहन में जोता हुआ अच्छा बैल जैसे महावन से सुखपूर्वक पार हो जाता है उसी प्रकार संयम - योग में भली-भाँति प्रवृत्त साधक भी संसार से ( सुखपूर्वक) पार हो जाता है ॥ २ ॥
(He said-) With a good bull yoked to a cart one crosses vast wilderness with ease; in the same way an aspirant zealously indulging in ascetic-discipline crosses the ocean of worldly existence (with ease). (2)
खलुंके जो उ जोएइ, विहम्माणो किलिस्सई ।
असमाहिं च वेएइ, तोत्तओ य से भज्जई ॥ ३ ॥
जो दुष्ट बैलों (खलुंक) को (वाहन में) जोतता है, वह उन्हें मारता हुआ स्वयं क्लेश पाता है, असमाधि का अनुभव करता है और अन्ततः उसका चाबुक भी टूट जाता है ॥ ३ ॥
One who yokes bad bullocks to a cart gets disturbed and distressed by beating them and in the end his whip also breaks down. (3)
एगं डसइ पुच्छंमि, एगं विन्धइऽभिक्खणं । एगो भंजइ समिलं, एगो उप्पहपट्ठिओ ॥ ४ ॥
क्षुब्ध हुआ वाहक (गाड़ीवान) किसी (बैल) की पूँछ में दंश देता है तो किसी एक को लगातार बधता है और (उन दुष्ट बैलों में से) कोई एक जूए की कील को तोड़ देता है तो कोई एक उन्मार्ग पर चल पड़ता है ॥ ४ ॥
(Out of annoyance the driver/bad ox) sometimes bites the tail of one and sometimes wounds the other. One (bad ox) sometimes breaks the pin of the yoke and sometimes drifts to a wrong path. (4)