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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
सप्तविंश अध्ययन [ 348]
एगो पडइ पासेणं, निवेस निवज्जई । उक्कुद्दइ उप्फिडई, सढे बालगवी वए ॥ ५ ॥
कोई मार्ग के एक ओर पार्श्व में गिर जाता है तो कोई बैठ जाता है और कोई लम्बा लेट जाता है। कोई कूदता है, कोई उछलता है तो कोई तरुण गाय (बालगवी) के पीछ भाग जाता है ॥ ५॥
Sometimes some falls on the side of the path, or sits down or stretches on the ground. Sometimes some jumps, or stomps or chases a young cow. (5)
माई मुद्धेण पडई, कुद्धे गच्छइ पडिप्पहं । मयलक्खेण चिट्ठई, वेगेण य पहावई ॥ ६ ॥
कोई मायावी (धूर्त्त बैल) सिर को निढाल बनाकर - सिर के बल भूमि पर लुढ़क - गिर जाता है। कोई क्रोधित होकर उन्मार्ग (प्रतिपथ) में अथवा उल्टे पैरों पीछे की ओर चल पड़ता है। कोई मृतक के समान पड़ा रहता है तो कोई वेग से दौड़ने लगता है ॥ ६ ॥
Some deceptive one sometimes drops down with stretched head. Some angrily goes the wrong way or starts back-tracking. Some falls flat as if dead and some dashes headlong at top speed. (6)
छिन्नाले छिन्दई सेल्लिं, दुद्दन्तो भंजए जुगं । सेवि सुस्सुयाइत्ता, उज्जाहित्ता पलायए ॥ ७ ॥
कोई दुष्ट बैल (छिन्नाल) रास (रस्सी) को छिन्न-भिन्न कर देता है, तोड़ देता है, दुर्दान्त होकर जू को तोड़ देता है और सूँ-सूँ की ध्वनि निकालता हुआ वाहन को छोड़कर पलायन कर जाता है ॥ ७ ॥
Some rogue one shatters the rope and getting unruly breaks the yoke. Making whistling sound some runs away abandoning the cart. (7)
खलुंका जारिसा जोज्जा, दुस्सीसा वि हु तारिसा । जोइया धम्मजाणम्मि, भज्जन्ति धिइदुब्बला ॥ ८ ॥
. जैसे वाहन में जोते हुए दुष्ट बैल वाहन को तोड़ देते हैं उसी प्रकार धृति - दुर्बल (धैर्य में कमजोर) शिष्यों को धर्मयान में जोतने पर वे भी उसे तोड़ देते हैं ॥ ८ ॥
As the wicked bulls yoked in a cart break the vehicle, so the disciples wanting in patience and enthusiasm, yoked to the chariot of religion break it down. (8)
इड्ढीगारविए एगे, एगेऽत्थ रसगारवे । सायागारविए एगे, एगे सुचिरकोहणे ॥ ९ ॥
( उन शिष्यों में) कोई ऋद्धि - ऐश्वर्य का गौरव (अहंकार) करता है, कोई रस का गौरव करता है, कोई साता-सुख का गौरव करता है तो कोई दीर्घकाल तक क्रोध करता रहता है ॥ ९॥
(Among those disciples) Some is maligned with pride of prosperity, some of taste and some of happiness; some revels in anger for a long time. (9)
भिक्खालसिए एगे, एगे ओमाणभीरुए थद्धे । एगं च अणुसासम्मी, हेऊहिं कारणेहिं य ॥ १०॥