________________
an, सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षड्विंश अध्ययन [ 342]
सभी दुःखों से मुक्त कराने वाले कायोत्सर्ग का समय आने पर सब दुःखों से मुक्त कराने वाला कायोत्सर्ग करे॥४७॥
When it is time to perform meditation (kayotsarg) that ends all miseries he should perform meditation (kayotsarg) that ends all miseries. (47)
राइयं च अईयारं, चिन्तिज्ज अणुपुव्वसो।
नाणंमि दंसणंमी, चरित्तंमि तवंमि य॥४८॥ ज्ञान-दर्शन-चारित्र से सम्बन्धित रात्रि सम्बन्धी अतिचारों का अनुक्रम से चिन्तन करे ॥ ४८॥
He should review and reflect (while meditating) on the transgressions related to knowledge-faith-conduct committed during the night. (48)
पारियकाउस्सग्गो, वन्दित्ताण तओ गुरूं।
राइयं तु अईयारं, आलोएज्ज जहक्कमं॥४९॥ कायोत्सर्ग को पूर्ण करके फिर गुरु को वन्दना कर रात्रि-सम्बन्धी अतिचारों की अनुक्रम से आलोचना करे॥४९॥
After concluding meditation, he should pay homage to the guru and then perform critical review of transgressions of the night in proper sequence. (49)
पडिक्कमित्तु निस्सल्लो, वन्दित्ताण तओ गुरूं।
काउस्सग्गं तओ कुज्जा, सव्वदुक्खविमोक्खणं॥५०॥ इसके पश्चात् प्रतिक्रमण करके, शल्यरहित होकर, गुरु को वन्दना करके सर्व दुःखों से मुक्त करने वाला कायोत्सर्ग करे॥ ५० ॥
After thus performing sequential expiation (pratikraman) and becoming free of internal thorns, he should pay homage to the guru and then again perform kayotsarg (meditation) that ends all miseries. (50)
किं तवं पडिवज्जामि, एवं तत्थ विचिन्तए।
काउस्सग्गं तु पारित्ता, वन्दई य तओ गुरुं॥५१॥ उस कायोत्सर्ग में चिन्तन करे कि आज मैं किस तप का आचरण करूँ? कायोत्सर्ग को पारित कर गुरु को वन्दन करे॥५१॥
During that meditation he should contemplate on what austerity he should observe this day. On concluding meditation he should pay homage to the guru. (51)
पारियकाउस्सग्गो, वन्दित्ताण तओ गुरूं।
तवं संपडिवज्जेत्ता, करेज्ज सिद्धाण संथवं॥५२॥ कायोत्सर्ग पूरा होने पर गुरु को वन्दना करे। उसके उपरान्त यथोचित तप को स्वीकार कर सिद्धों की स्तुति-संस्तव करे॥५२॥