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[341] षड्विंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
After thus performing sequential expiation (pratikraman) and becoming free of internal thorns, he should pay homage to the guru and then again perform kayotsarg (meditation) that ends all miseries. (42)
पारियकाउस्सग्गो, वन्दित्ताण तओ गुरूं।
थुइमंगलं च काउण, कालं संपडिलेहए॥४३॥ कायोत्सर्ग को पारित (पूर्ण) करके फिर गुरु को वन्दन करे तथा स्तुति-मंगल (सिद्धस्तव) करके काल की सम्यक् प्रकार से प्रतिलेखना करे॥ ४३॥
On concluding meditation, he should again pay homage to the guru and after singing panegyrics (Siddhastav) perform the timely inspection. (43)
पढमं पोरिसिं सज्झायं, बीयं झाणं झियायई।
तइयाए निद्दमोक्खं तु, सज्झायं तु चउत्थिए॥४४॥ रात्रिक कृत्य एवं प्रतिक्रमण ..(रात्रि की) प्रथम पौरुषी-प्रहर में स्वाध्याय करे, दूसरे प्रहर में ध्यान करे, तीसरे प्रहर में शयन करे-निद्रा ले और चौथे प्रहर में स्वाध्याय करे ॥ ४४ ॥ Activities of the night
He should indulge in studies during the first paurushi (prahar or quarter of the night), meditation during the second, sleeping during the third and studies again during the fourth. (44)
पोरिसीए चउत्थीए, कालं तु पडिलेहिया।
सज्झायं तओ कुज्जा, अबोहेन्तो असंजए॥४५॥ किन्तु चौथी पौरुषी-प्रहर में काल की प्रतिलेखना करके तदनन्तर असंयमी लोगों को न जगाता हुआ स्वाध्याय करे॥४५॥
But in the fourth quarter after performing timely inspection, he should commence studies ensuring not to awake undisciplined people. (45)
पोरिसीए चउब्भाए, वन्दिऊण तओ गुरुं।
पडिक्कमित्तु कालस्स, कालंतु पडिलेहए॥ ४६॥ चतुर्थ पौरुषी के चौथे भाग में गुरु को वन्दना करके काल का प्रतिक्रमण करके काल का प्रतिलेखन करे ॥ ४६॥
During the fourth quarter of the fourth paurushi he should perform periodic inspection after paying homage to the guru and doing period related critical review (pratikraman). (46)
आगए कायवोस्सग्गे, सव्वदुक्खविमोक्खणे। काउस्सग्गं तओ कुज्जा, सव्वदुक्खविमोक्खणं॥४७॥