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[333 ] षड्विंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
पढम पोरिसिं सज्झायं, बीयं झाणं झियायई।
तइयाए भिक्खायरियं, पुणो चउत्थीए सज्झायं ॥ १२॥ प्रथम पौरुषी (प्रहर) में स्वाध्याय करे, दूसरे प्रहर में ध्यान, तीसरे में भिक्षाचरी और पुनः चौथे प्रहर में स्वाध्याय करे॥ १२॥
He should indulge in studies during the first paurushi (prahar or quarter of the day), meditation during the second, alms-seeking during the third and studies again during the fourth. (12)
आसाढे मासे दुपया, पोसे मासे चउप्पया।
चित्तासोएसु मासेसु, तिपया हवइ पोरिसी॥१३॥ पौरुषी परिज्ञान
आषाढ़ मास में दो पैर (द्विपदा) पौरुषी होती है। पौष मास में चतुष्पदा तथा चैत्र और आश्विन मास में त्रिपदा पौरुषी होती है॥ १३॥ Knowledge of paurushi
In the lunar month of Ashadha there is two limbed (paad) paurushi (quarter of the night); in the month of Paush it is four limbed and in the months of Chaitra and Ashwin it is three limbed. (13)
अंगुलं सत्तरत्तेणं, पक्खेण य दुअंगुलं।
वड्ढए हायए वावी, मासेणं चउरंगुलं॥१४॥ . सात अहोरात्र में एक अंगुल, एक पक्ष (पन्द्रह दिन-रात) में दो अंगुल और एक मास में चार
अंगुल (प्रमाण छाया दक्षिणायन में श्रावण से पौष मास तक) बढ़ती है और (उत्तरायन में माघ मास से आषाढ़ मास तक) घटती है॥ १४॥
It (paurushi) increases (from lunar months of Shravan to Paush during winter solstice) and decreases (from Maagh to Ashadha when the sun is in summer solstice respectively) by one Angul (width of a finger; digit; five minutes) in seven day-nights, two Anguls in a fortnight and four Anguls in a lunar month. (14)
आसाढबहुलपक्खे, भद्दवए कत्तिए य पोसे य।
फग्गुण-वइसाहेसु य, नायव्वा ओमरत्ताओ॥१५॥ आषाढ़, भाद्रपद, कार्तिक, पौष, फाल्गुन और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में एक-एक अहोरात्र की न्यूनता जाननी चाहिए। यानी १४ दिन का पक्ष होता है॥ १५ ॥
The dark fortnights of lunar months of Ashadh, Bhaadrapad, Kartik, Paush, Falgun and Vaishakha are known as avamaraatra (one day-night less than the normal; i.e., 14 day-nights). (15)
जेट्ठामूले आसाढ-सावणे, छहिं अंगुलेहिं पडिलेहा। अट्ठहिं बीय-तियंमी, तइए दस अट्ठहिं चउत्थे॥१६॥