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[311] चतुर्विंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
मुनि ओघ उपधि (सामान्य उपकरण) और औपग्रहिक उपधि (विशेष स्थिति के उपकरण) दोनों प्रकार के भाण्डोपकरणों को ग्रहण करने, लेने-उठाने और रखने में इस विधि का प्रयोग करे॥ १३॥ ... यतनापूर्वक प्रवृत्ति करने वाला यति दोनों तरह के उपकरणों को आँखों से देखकर-प्रतिलेखन और प्रमार्जन करके सदा समितियुक्त होकर ग्रहण करे-लेवे तथा रखे ॥ १४॥
4. Circumspection in taking and keeping (aadaan-nikshepana samiti)
An ascetic should use the following procedure in accepting, picking and putting his common and special equipments including bowls. (13)
A careful ascetic should accept, pick up and put down both aforesaid type of equipment after seeing with his own eyes, inspecting and wiping, ever observing the code of circumspection. (14) ५-परिष्ठापनिका समिति
उच्चारं पासवणं, खेलं सिंघाण-जल्लियं ।
आहारं उवहिं देहं, अन्नं वावि तहाविहं॥१५॥ अणावायमसंलोए, अणावाए चेव होइ संलोए। आवायमसंलोए, आवाए चेय संलोए॥१६॥ अणावायमसंलोए, परस्सऽणुवघाइए।
समे अज्झुसिरे यावि, अचिरकालकयंमि य॥१७॥ उच्चार-मल, प्रस्रवण-मूत्र, श्लेष्म-कफ, सिंघानक-नाक का मैल, जल्ल-शरीर का मैल, आहार, उपधि, शरीर तथा अन्य भी किसी विसर्जन योग्य वस्तु का विवेकपूर्वक स्थण्डिल भूमि में परिष्ठापन करे॥ १५॥ __ स्थण्डिल भूमि चार तरह की होती है-(१) अनापात असंलोक-जहाँ लोग न आते-जाते हों
और न दूर से ही दिखते हों। (२) अनापात संलोक-लोग जहाँ आते-जाते तो न हों किन्तु दूर से दिखाई देते हों। (३) आपात असंलोक-लोग आते-जाते हों किन्तु दूर से दिखते न हों। (४) आपात संलोक-लोग आते-जाते भी हों और दिखाई भी देते हों ॥ १६॥
जो भूमि अनापात-असंलोक हो, परोपघात से रहित हो, सम हो, पोली न हो, कुछ समय पहले ही अचित्त (निर्जीव) हुई हो- ॥ १७॥ 5. Circumspection in disposal (parishthapanika samiti)
He should dispose stool (uchchaar), urine (prasravan), mucus (shleshma), slime from his nose (singhaanak), body-dirt (jalla), food (leftover), waste things, even his own body (when he is about to die) and any other thing to be disposed with due care at a suitable place for disposal. (15)