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[289] त्रयोविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in
The disciple-groups of these two, who were restrained, austere, virtuous and protectors of all the six classes of living beings, got preoccupied with these reflections- (10)
केरिसो वा इमो धम्मो ?, इमो धम्मो व केरिसो?
आयारधम्मपणिही, इमा वा सा व केरिसी?॥११॥ यह कैसा धर्म है? और यह कैसा धर्म है? आचार धर्म की व्यवस्था (पणिही) यह कैसी है? और यह कैसी है? ॥ ११ ॥ ___How is this (our) religion defined? How is that (their) religion defined? How is this (our) code of conduct defined? How is that (their) code of conduct defined? (11)
चाउज्जामो य जो धम्मो, जो इमो पंचसिक्खिओ।
देसिओ वद्धमाणेण, पासेण य महामुणी॥१२॥ यह चातुर्याम धर्म है, इसका प्रतिपादन महामुनि पार्श्वनाथ ने किया है और यह पंचशिक्षा रूप धर्म है, इसका उपदेश महामुनि वर्द्धमान ने किया है॥१२॥
This is the religion of four dimensions (great vows) propagated by great sage Parshvanaath and that is the religion of five edicts (great vows) propagated by great sage Vardhamaan. (12)
___ अचेलगो य जो धम्मो, जो इमो सन्तरुत्तरो।
एगकज्ज-पवन्नाणं, विसेसे किं नु कारणं ?॥१३॥ भगवान वर्धमान ने यह अचेलक धर्म (वस्त्ररहित व अल्प वस्त्र वाला) बताया है जबकि भगवान पार्श्वनाथ ने सान्तरोत्तर-(रंग-बिरंगे व मूल्यवान वस्त्रों वाला) धर्म की प्ररूपणा की है। एक ही लक्ष्य के लिए प्रवृत्त साधकों में यह भेद क्यों है? ॥ १३॥
Bhagavan Vardhamaan has prescribed this Achelak (sky-clad or meagerly clad) religion; while Bhagavan Parshvanaath has prescribed religion with multi-coloured and costly garbs. Pursuing the same end, why these differences for the aspirants ? (13)
अह ते तत्थ सीसाणं, विनाय पवितक्कियं।
सागमे कयमई, उभओ केसि-गोयमा॥१४॥ शिष्यों के शंकायुक्त (पवितक्किय) विचार-विमर्श को जानकर केशी और गौतम-दोनों ने ही परस्पर मिलने की इच्छा की॥ १४ ॥
Knowing about the confusion plaguing the minds of their disciples, both Keshi and Gautam thought of meeting each other. (14)
गोयमे पडिरूवन्नू, सीससंघ-समाउले।
जेटुं कुलमवेक्खन्तो, तिन्दुयं वणमागओ॥१५॥ यथोचित विनय व्यवहार के ज्ञाता गौतम केशीश्रमण के कुल को ज्येष्ठ कुल समझकर अपने शिष्य समूह के साथ तिन्दुक उद्यान में आये॥ १५॥