________________
in सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
द्वाविंश अध्ययन [ 280]
रहनेमी अहं भद्दे !, सुरूवे ! चारुभासिणि !
ममं भयाहि सुयणू!, न ते पीला भविस्सई॥३७॥ (रथनेमि-) हे भद्रे ! मैं रथनेमि हूँ। हे सुरूपे! हे मधुरभाषिणी! हे सुतनु ! मुझे स्वीकार कर ले। तुझे किसी प्रकार की कोई पीड़ा नहीं होगी॥ ३७॥
(Rathanemi-) O Lady! I am Rathanemi. O beauty! O sweetly-speaking! O tender one! Please accept me. You will have no cause of pain or complaint of any kind. (37)
एहि ता भुंजिमो भोए, माणुस्सं खु सुदुल्लहं।
भुत्तभोगा तओ पच्छा, जिणमग्गं चरिस्समो॥३८॥ आओ, पहले हम भोगों को भोग लें। मनुष्य-जन्म निश्चय ही बहुत दुर्लभ है। भोगों को. भोगने के बाद, भुक्तभोगी बनकर हम जिन-मार्ग का आचरण करेंगे॥ ३८॥
Come, let us enjoy pleasures first; because, to be born as a human being is, indeed, very rare. After having enjoyed pleasures we will take to the path of the Jina. (38)
दठ्ठण रहनेमिं तं, भग्गुज्जोयपराइयं।
राईमई असम्भन्ता, अप्पाणं संवरे तहिं ॥ ३९॥ संयम के प्रति हीन-उत्साह और भोग-वासना से पराजित रथनेमि को देखकर राजीमती घबड़ाई नहीं (असम्भन्ता) उसने वस्त्रों से अपने शरीर को पुन: आवृत्त कर लिया॥ ३९॥
Seeing Rathanemi to be devoid of any enthusiasm for ascetic-discipline and overwhelmed by carnal desires, Raajimati was not afraid. She covered herself again with her clothes. (39)
अह सा रायवरकन्ना, सुट्ठिया नियमव्वए।
जाई कुलं च सीलं च, रक्खमाणी तयं वए॥ ४०॥ तत्पश्चात् नियमों और व्रतों में सम्यक् प्रकार से अविचल (सुस्थित) उस श्रेष्ठ राजकन्या राजीमती ने जाति, कुल और शील की रक्षा करते हुए रथनेमि से कहा- ॥ ४० ॥
Then perfectly unwavering in observation of her codes and vows, that noble princess (Raajimati) protecting her clan, family and honour, said to Rathanemi-(40)
जइ सि रूवेण वेसमणो, ललिएण नलकूबरो।
तहा वि ते न इच्छामि, जई सि सक्खं पुरन्दरो॥४१॥ (राजीमती-) यदि तू रूप में वैश्रमण के समान है, ललितकलाओं में नलकूबर देव जैसा है, यहाँ तक कि तू साक्षात् इन्द्र है तो भी मैं तेरी इच्छा नहीं करती ।। ४१॥
(Raajimati-) Even if you were as beautiful as Vaishraman, as accomplished as Nalakubar in fine arts, so much so that you were the image of the king of gods himself, I would still have no desire for you. (41)