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[279] द्वाविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
Vaasudeva (Shrikrishna) said to Raajimati, the tonsured and the victor of sensesO Lady! Cross this ocean of worldly existence as soon as possible. (31)
सा पव्वइया सन्ती, पव्वावेसी तहिं बहुं।
सयणं परियणं चेव, सीलवन्ता बहुस्सुया॥३२॥ शीलवती तथा बहुश्रुत राजीमती ने प्रव्रजित होकर अपने साथ बहुत से स्वजनों और परिजनों को दीक्षित (प्रव्रजित) कराया ॥ ३२॥
After initiation chaste and learned Raajimati inspired and made many of her relatives and friends to get initiated. (32)
गिरिं रेवययं जन्ती, वासेणुल्ला उ अन्तरा।
वासन्ते अन्धयारंमि, अन्तो लयणस्स सा ठिया॥३३॥ रैवतक गिरि पर जाती हुई वह (राजीमती) बीच में ही वर्षा से भीग गई, जोरदार वर्षा से अन्धकार छा जाने पर वह आश्रय के लिए एक गुफा के अन्दर प्रविष्ट होकर ठहर गई ॥ ३३॥
While ascending Raivatak hill she (Raajimati) got drenched in rain. When it became dark (due to heavy rains) she entered a cave for shelter and stayed there. (33)
चीवराई विसारन्ती, जहा जाय त्ति पासिया।
रहनेमी भग्गचित्तो, पच्छा दिट्ठो य तीइ वि॥३४॥ अपने गीले वस्त्रों (चीवर) को सखाने के लिए फैलाती हई यथाजात (नग्न) रूप में राजीमती को देखकर रथनेमि का चित्त विचलित हो गया। फिर राजीमती ने भी उसे (रथनेमि को) देखा ॥ ३४ ॥
. While she took off her dress and was spreading the same for drying up, Rathanemi (meditating in the cave) saw her in her birthday suit (completely nude) and lost his poise. And then Raajimati also saw him (Rathanemi). (34)
भीया य सा तहिं दटुं, एगन्ते संजयं तयं।
बाहाहिं काउं संगोफ, वेवमाणी निसीयई ॥ ३५॥ वहाँ उस गुफा के एकान्त में समुद्रविजय के पुत्र रथनेमि को देखकर राजीमती भयभीत हो गई। भय से काँपती हुई वह अपनी दोनों बाहुओं से शरीर को संगोपन करके बैठ गई ॥ ३५ ॥
When she saw Rathanemi, Samudravijaya's son, in the lonely cave, Raajimati was frightened. Trembling with fear she sat down covering her body with her arms. (35)
अह सो वि रायपुत्तो, समुद्दविजयंगओ।
भीयं पवेवियं दटुं, इमं वक्कं उदाहरे-॥३६॥ तब समुद्रविजय के अंगजात (आत्मज) राजपुत्र (रथनेमि) ने भयभीत और काँपती हुई राजीमती को देखकर इस प्रकार का वचन कहा- ॥ ३६॥
When prince Rathanemi, Samudravijaya's own son, saw her trembling with fear,. he uttered these words- (36)