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तर सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकोनविंश अध्ययन [ 238 ]
सो बिंत ऽम्मापियरो !, एवमेयं जहाफुडं।
पडिकम्मं को कुणई, अरण्णे मियपक्खिणं ? ॥ ७७॥ (मृगापुत्र-) मृगापुत्र ने कहा-हे माताजी, पिताजी! श्रमणमार्ग ऐसा ही है, जैसा आपने कहा है लेकिन जंगलों में मृग आदि पशु तथा पक्षियों की चिकित्सा कौन कराता है? ॥ ७७॥
(Mrigaputra -) Mother and father! The ascetic discipline is exactly as you have described. But who gives treatment to the ailing animals like deer and birds in forests? (77)
एगभूओ अरण्णे वा, जहा उ चरई मिगो।
एवं धम्म चरिस्सामि, संजमेण तवेण य॥७८॥ जैसे वन में मृग अकेला ही विचरण करता है उसी प्रकार मैं तप-संयम से भावित होकर अकेला ही विचरण करूँगा॥ ७८ ॥
As a deer (or wild animal) roams about alone in the forest, so will I wander alone enkindling my soul with practice of restrain and austerities. (78)
जया मिगस्स आयंको, महारणम्मि जायई।
अच्छन्तं रुक्खमूलम्मि, को णं ताहे तिगिच्छई ? ॥७९॥ जब महाभयंकर गहन वन में मृग के शरीर में आतंक-शीघ्रघाती रोग उत्पन्न हो जाता है, तब वृक्ष के मूल में बैठे हुए उस मृग की चिकित्सा कौन कराता है? ॥ ७९ ॥
When in a vast haunting forest the body of a deer catches a fatal disease; who cures that deer resting under a tree ? (79)
को वा से ओसधं देई ?, को वा से पुच्छइ सुहं?
को से भत्तं च पाणं च, आहरित्तु पणामए ?॥८०॥ कौन उसे औषध देता है? कौन उसके सुख-स्वास्थ्य के विषय में पूछता है और कौन उसे आहार आदि लाकर देता है? ॥ ८०॥
Who gives it medicine? Who inquires about its health and who brings food and water to feed it? (80)
जया य से सुही होइ, तया गच्छइ गोयरं।
भत्तपाणस्स अट्ठाए, वल्लराणि सराणि य॥८१॥ जब वह स्वयं ही सुखी और स्वस्थ हो जाता है तब वह स्वयं गोचर भूमि में जाता है और खाने-पीने के लिये लता निकुंजों, झाड़ियों तथा सरोवरों को खोजता है।। ८१॥
When it gets healthy and happy naturally then he goes to a pasture himself and searches shrubs, creepers and ponds for food and water. (81)
खाइत्ता पाणियं पाउं, वल्लरेहिं सरेहि वा। मिगचारियं चरित्ताणं, गच्छई मिगचारियं ॥ ८२॥