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[203 ] सप्तदश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
ससरक्खपाए सुवई, सेज्जं न पडिलेहइ।
संथारए अणाउत्ते, पावसमणे त्ति वुच्चई॥१४॥ जो रज-धूल से भरे-सने पैरों से सो जाता है, शय्या का प्रतिलेखन नहीं करता है, संस्तारक-बिछौने के सम्बन्ध में असावधान होता है, वह पापश्रमण कहलाता है॥ १४ ॥
He who sleeps with dusty-dirty feet, does not carefully inspect his bed and is careless about spreading his mattress is called a sinful ascetic. (14)
दुद्ध-दहीविगईओ, आहारेइ अभिक्खणं।
अरए य तवोकम्मे, पावसमणे त्ति वुच्चई॥१५॥ जो दूध-दही आदि विकारवर्द्धक पदार्थों का बार-बार आहार करता है और तपश्चर्या में अरुचि रखता है, वह पापश्रमण कहलाता है॥ १५॥
One who frequently consumes milk, curd and other maligning eatables prohibited for ascetics and is averse towards austerities is called a sinful ascetic. (15)
अत्थन्तम्मि य सूरम्मि, आहारेइ अभिक्खणं।
चोइओ पडिचोएइ, पावसमणे त्ति वुच्चई ॥१६॥ जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिनभर बार-बार आहार करता है, गुरु के समझाने पर उल्टा उन्हें ही उपदेश देने लगता है, वह पापश्रमण कहा जाता है॥ १६॥
He who again and again eats throughout the day from sun-rise to sun-set and when admonished by the guru, responds by preaching him, is called a sinful ascetic. (16)
__आयरिय परिच्चाई, परपासण्ड सेवए।
गाणंगणिए दुब्भूए, पावसमणे त्ति वुच्चई ॥१७॥ जो अपने आचार्य को छोड़कर दूसरे धर्म-सम्प्रदायों, मत-परम्पराओं को स्वीकार कर लेता है। छह महीने की अल्प अवधि में ही एक गण से दूसरे गण में चला जाता है, वह दूर्भूत-निन्दनीय पापश्रमण कहलाता है॥ १७॥
One who deserts his own preceptor (acharya) and accepts other religions, sects, schools or traditions; who shifts from one group of ascetics (gana) to another in a short period of six months or less, such spoiled one is called a sinful ascetic. (17)
सयं गेहं परिचज्ज, परगेहंसि वावडे ।
निमित्तेण य ववहरई, पावसमणे त्ति वुच्चई॥१८॥ जो अपने घर को छोड़कर (प्रव्रजित होता है) दूसरे के घर के गृहकार्यों में लग जाता है; निमित्त-शुभाशुभ बताकर व्यवहार करता है, वह पापश्रमण कहलाता है॥ १८ ॥
He who renounces his household (gets initiated) and later gets involved in other person's house work or starts working as an augur or fortune-teller is called a sinful ascetic. (18)