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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(पुत्र - ) पिताजी ! आप भली भाँति जान लें कि यह संसार मृत्यु से आहत है, वृद्धावस्था से घिरा हुआ है और समय-चक्र की कभी न रुकने वाली गति ( दिन-रात की गति) को अमोघा कहा जाता है॥ २३ ॥
चतुर्दश अध्ययन [ 166]
(Sons-) Father! Know well that this Lok (world of the living) is oppressed by death. It is surrounded by old age. The unstoppable passage of time (the continuum of day and night leading to the end of a state) is called as amogha. (23)
जा जा वच्चइ रयणी, न सा पडिनियत्तई ।
अहम्मं कुणमाणस्स, अफला जन्ति राइओ ॥ २४ ॥
जो रात्रियाँ व्यतीत हो रही हैं, वे कभी वापस लौटकर नहीं आतीं। अधर्म करने वालों की रात्रियाँ निष्फल जाती हैं ॥ २४ ॥
Nights (time) that have passed never return. The nights (time) of irreligious persons are wasted (fruitless ). ( 24 )
जा जा वच्चइ रयणी, न सा पडिनियत्तई । धम्मं च कुणमाणस्स, सफला जन्ति राइओ ॥ २५ ॥
जो रात्रियाँ व्यतीत हो रही हैं वे कभी लौटकर वापस नहीं आतीं। धर्म करने वालों की रात्रियाँ सफल होती हैं ॥ २५ ॥
Nights (time) that have passed never return. The nights (time) of religious persons are advantageous (fruitful ). ( 25 )
संवसित्ताणं,
ओ दुओ सम्मत्त जुया । पच्छा जाया ! गमिस्सामो, भिक्खमाणा कुले कुले ॥ २६ ॥
(पिता - ) पुत्रो ! पहले तुम और हम सब सुख से गृहवास में रहकर सम्यक्त्व और व्रतों का पालन करें, तत्पश्चात् वृद्धावस्था में भिक्षाजीवी श्रमण बन जायेंगे ॥ २६ ॥
(Father) Sons! First of all, while still living as householders, you and we observe right faith and vows; later when we get old we will become alms-seeking ascetics. (26)
जस्सत्थि मच्चुणा सक्ख, जस्स वऽत्थि पलायणं । जो जाणे न मरिस्सामि, सो हु कंखे सुए सिया ॥ २७ ॥
(पुत्र - ) पिताजी ! जिसकी मृत्यु के साथ मित्रता हो अथवा जो मृत्यु आने पर पलायन कर सकता हो, या जिसको विश्वास हो कि 'मैं कभी मरूँगा ही नहीं; वही कल की प्रतीक्षा कर सकता है॥ २७॥
(Sons-) Father! He alone can wait for tomorrow who has friendship with death or who can escape when death comes, or who has strong belief that he will never die. (27) . अज्जेव धम्मं पडिवज्जयामो, जहिं पवन्ना न पुणब्भवामो । अणायं नेव य अस्थि किंचि, सद्धाखमं णे विणइत्तु रागं ॥ २८ ॥