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[119 ] एकादश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्रता
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NOTATION
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गाथा २१-वासुदेव के शंख का नाम पाञ्चजन्य, चक्र का नाम सुदर्शन और गदा का नाम कौमोदकी है। लोहे के दण्डविशेष को गदा कहते हैं। (वृ. वृ.)
गाथा २२-जिसके राज्य के उत्तर सीमान्त परिदिगन्त में हिमवान् पर्वत और शेष तीन दिगन्तों में समुद्र हो, वह “चातुरन्त" कहलाता है।
चक्रवर्ती के १४ रत्न इस प्रकार हैं-(१) सेनापति, (२) गाथापति, (३) पुरोहित, (४) गज, (५) अश्व, (६) मनचाहा भवन का निर्माण करने वाला वर्द्धकि अर्थात् बढ़ई, (७) स्त्री, (८) चक्र, (९) छत्र, (१०) चर्म, (११) मणि, (१२) जिससे पर्वत शिलाओं पर लेख या मण्डल अंकित किये जाते हैं, वह काकिणी, (१३) खड्ग, और (१४) दण्ड। (वृ. वृ.) (चित्र देखें) ____ गाथा २३-इन्द्र के सहस्राक्ष और पुरन्दर नाम वैदिक पुराणों के कथानकों पर आधारित हैं। इन्द्र के पाँच सौ देव मन्त्री होते हैं। राजा मन्त्री की आँखों से देखता है, अर्थात् उनकी दृष्टि से अपनी नीति निर्धारित करता है, इसलिये इन्द्र सहस्राक्ष है। दूसरा अर्थ है जितना हजार आँखों से देखता है, अर्थात् उनकी दृष्टि से अपनी नीति निर्धारित करता है, इसलिये इन्द्र सहस्राक्ष है। दूसरा अर्थ है जितना हजार आँखों से दीखता है, इन्द्र उससे अधिक अपनी दो आँखों से देख लेता है, इसलिये वह सहस्राक्ष है। “जं सहस्सेण अक्खाणंदीसति, तं सो दोहि अक्खीहिं अब्भहियतरांग पेच्छति।" (चूर्णि)
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IMPORTANT NOTES
Verse 21-The name of Vasudeva's conch-shell (shankh) is Paanchjanya, that of the disc weapon (chakra) is Sudarshana and that of mace (gada) is Kaumodaki. (V.V.)
Verse 22—The land area bounded by Himavan mountain on the north and by seas on the remaining three directions is called chaaturant.
The 14 gems (gem like illustrious divine possessions) of a Chakravarti (the emperor of six regions of Bharat) are-1. Senapati (Commander-in-chief), 2. Gathapati (householder), 3. Purohit (priest), 4. Gaja (elephant), 5. Ashva (horse), 6. Vardhaki (carpenter who can make desired fully equipped buildings), 7. Stree (woman, i. e., chief queen), 8. Chakra (disc weapon), 9. Chhatra (umbrella), 10. Charma (leather), 11. Mani (gem), 12. Kaakini (capable of inscribing motifs on mountain rocks), 13. Khadg (sword), and 14. Dand (royal staff). (V.V.) (See illustration)
Verse 23-Sahasraksha (thousand eyed) and Purandar (fort destroyer), these two names of Indra (king of gods) are based on Vedic and Puranic myths. Indra, the king of gods, has five hundred gods as ministers. The king observes through the eyes of ministers; in other words he frames his policies on the basis of information received from them; as such he is said to be having thousand eyes. Another interpretation is that as much ordinary people can see through thousand eyes, the king of gods can see much more than that by his two eyes, hence he is thousand-eyed. (Churni)