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[113] एकादश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र ,
नासीले न विसीले, न सिया अइलोलुए।
अकोहणे सच्चरए, सिक्खासीले त्ति वुच्चई॥५॥ (४) सर्वथा शीलरहित न होना, (५) विकृत शील वाला न होना, (६) अतिलोलुपी-रस लंपट न होना, (७) अत्यधिक क्रोधी न होना, तथा (८) सदा सत्य में अनुरक्त रहना ॥ ५॥ . 4. not being completely devoid of uprightness, 5. not adhering to perverse values, 6. not being excessively covetuous, 7. not being excessively angry, and 8. being loving always. (5)
अह चउदसहि ठाणेहिं, वट्टमाणे उ संजए। अविणीए वुच्चई सो उ, निव्वाणं च न गच्छइ॥६॥ अभिक्खणं कोही हवइ, पबन्धं च पकुव्वई। मेत्तिज्जमाणो वमइ, सुयं लभ्रूण मज्जई ॥७॥ अवि पावपरिक्खेवी, अवि मित्तेसु कुप्पई। सुप्पियस्सावि मित्तस्स, रहे भासइ पावगं ॥८॥ पइण्णवाई दुहिले, थद्धे लुद्धे अणिग्गहे।
असंविभागी अचियत्ते, अविणीए त्ति वुच्चई॥९॥ चौदह स्थानों-दोषों से युक्त व्यवहार करने वाला संयमी साधु अविनीत कहा जाता है और वह मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता ॥ ६॥
(१) जो बार-बार क्रोध करता है। (२) दीर्घकाल तक क्रोध करता रहता है। (३) मित्रता किये जाने पर भी उसे ठुकरा देता है। (४) श्रुतज्ञान को उपलब्ध करके उसका अभिमान करता है।॥ ७॥
(५) स्खलना होने पर आचार्यादि का तिरस्कार करता है। (६) मित्रों पर भी कुपित होता है। (७) अतिप्रिय मित्र के भी एकान्त में अवगुणवाद बोलता है॥ ८॥
(८) असम्बद्ध प्रलाप करता है। (९) द्रोही है। (१०) अभिमानी है। (११) आहार में लुब्ध है। (१२) मन और इन्द्रियों का निग्रह नहीं करता। (१३) असंविभागी है। (१४) अप्रीतिकर है॥९॥
A disciplined ascetic committing fourteen faults is called immodest or ill behaved and he cannot attain liberation. (The said fourteen faults are as follows -) (6)
1. One who gets angry often. 2. One who perseveres in his anger for long. 3. One who spurns friendship when offered. 4. One who is proud of the scriptural knowledge he has acquired. (7)
5. One who insults seniors including acharya on their slips. 6. One who gets angry even with friends. 7. One who speaks ill even of dearest friend in his absence. (8) ___8. One who talks irrelevant. 9. One who is malicious. 10. One who is conceited. 11. One who is obsessed with food. 12. One who does not discipline his senses and mind. 13. One who does not share with fellow ascetics. 14. One who is unkind. He is called immodest. (9)