________________
an सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकादश अध्ययन [114]
अह पन्नरसहिं ठाणेहिं, सुविणीए त्ति वुच्चई। नीयावत्ती अचवले , अमाई अकुऊहले ॥१०॥ अप्पं चाऽहिक्खिवई, पबन्धं च न कुव्वई। मेत्तिज्जमाणो भयई, सुयं लद्धं न मज्जई ॥११॥ . न य पावपरिक्खे वी, न य मित्तेसु कुप्पई। अप्पियस्सावि मित्तस्स, रह कल्लाण भासई॥१२॥ कलह-डमरवज्जए, बुद्धे अभिजाइए।
हिरिमं पडिसंलीणे, सुविणीए त्ति वुच्चई ॥१३॥ पन्द्रह स्थानों-गुणों से सुविनीत कहा जाता है
(१) नम्रता, (२) अचपलता-स्थिरता, (३) दम्भ का अभाव-सरलता, (४) अकौतूहलत्वगंभीरता ॥१०॥
(५) किसी की निन्दा न करना, (६) लम्बे समय तक क्रोध न करते रहना, (७) मित्रों के प्रति कृतज्ञता, (८) श्रुत-प्राप्ति होने पर भी अहंकार नहीं करना ॥ ११ ॥
(९) स्खलना होने पर भी उसका तिरस्कार न करना, (१०) मित्रों परं क्रोध न करना, (११) अप्रिय मित्र के प्रति भी एकान्त में उसके कल्याण की बात कहना ॥ १२ ॥
(१२) वाक्कलह और मार-पीट न करना, (१३) अभिजात्यता-कुलीनता (शालीनता), (१४) लज्जाशीलता, (१५) प्रतिसंलीनता-आत्मलीनता।
इन १५ गुणों को धारण करने वाला साधु सुविनीत होता है॥ १३ ॥
(But if he is endowed with fifteen qualities an ascetic is called modest or well. behaved. These qualities are-)
1. Humility, 2. Stability, 3. Simplicity (absence of conceit), 4. Absence of curiosity (sobriety), (10)
5. Avoidance of slandering, 6. Avoidance of extending anger for a long period, 7. Gratefulness towards friends, 8. Absence of conceit of learning. (11)
9. Avoidance of insult to seniors including acharya even when their slip shows, 10. Absence of anger towards friends, 11. Speaking good even of a bad friend in his absence. (12)
12. Avoidance of quarrels and rows, 13. Gracefulness, 14. Shyness, 15. Spiritual inclination. An ascetic endowed with these fifteen virtues is called modest. (13)
वसे गुरुकुले निच्चं, जोगवं उवहाणवं ।
पियंकरे पियंवाई, से सिक्खं लद्धमरिहई ॥१४॥ सदा गुरुकुल-गुरुजनों की सेवा में रहने वाला, योग उपधान-शास्त्र-स्वाध्याय संबंधी तप करने वाला तथा प्रिय करने वाला और प्रिय बोलने वाला साधु शिक्षा-प्राप्ति के योग्य होता है॥ १४॥