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र सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
दशम अध्ययन [ 106]
Even on having listened to the right tenets it is difficult to have faith on this righteous path since many men are unrighteous (mithyatvi) and behave accordingly. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (19)
धम्म पि हु सद्दहन्तया, दुल्लहया काएण फासया।
इह कामगुणेहिमुच्छिया, समयं गोयम ! मा पमायए॥२०॥ उत्तम धर्म पर श्रद्धा होने के उपरान्त भी उसका आचरण करना और भी दुष्कर है; क्योंकि बहुत से श्रद्धावान भी कामभोगों में आसक्त रहते हैं। इसलिये हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो॥२०॥
Even on having faith on the righteous path it is very difficult to practice it (translate it into conduct) since many devoted persons are seen indulging in mundane pleasures and comforts. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (20)
परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते।
से सोयबले य हायई, समयं गोयम ! मा पमायए॥२१॥ तुम्हारा शरीर जर्जरित हो रहा है, केश सफेद हो रहे हैं, सुनने की शक्ति कम हो रही है। हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो॥ २१ ॥
Your body is wasting away, hairs are turning grey and hearing ability is on the decline. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (21)
परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते।
से चक्खुबले य हायई, समयं गोयम ! मा पमायए॥२२॥ तुम्हारा शरीर जीर्ण हो रहा है, सिर के बाल सफेद हो रहे हैं, नेत्र-ज्योति मन्द हो रही है। हे गौतम ! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥ २२॥
Your body is getting feeble, hairs are turning white and eye-sight is getting weak. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (22)
परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते।
से घाणबले य हायई, समयं गोयम ! मा पमायए॥२३॥ तुम्हारा शरीर कमजोर हो रहा है, सिर के केश श्वेत हो रहे हैं, सूंघने की शक्ति घटती जा रही है। हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥ २३ ॥
Your body is getting weak, hairs are turning white and capacity to smell is waning. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (23)
परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते।
से जिब्भबले य हायई, समयं गोयम ! मा पमायए॥२४॥ तुम्हारा शरीर परिजीर्ण हो रहा है, केश श्वेत हो रहे हैं, जिह्वाबल-रस लेने और बोलने की शक्ति कम हो रही है। हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो॥ २४ ॥