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[55] पंचम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
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विशेष स्पष्टीकरण गाथा १-"मरण" के दो प्रकार हैं-अकाम और सकाम। अकाममरण वह है, जो व्यक्ति विषयों व भोगों की लालसा के साथ जीना ही चाहता है, मरना नहीं। फिर भी आयुक्षय होने पर उसे लाचारी में अनचाहे ही मरना होता है। सकाममरण कामनासहित मरण है। इसका केवल इतना ही अर्थ अभिप्रेत है कि जो साधक विषयों के प्रति अनासक्त रहता है, जीवन और मरण दोनों ही स्थितियों में सम होता है, वह मरणकाल के समय भयभीत एवं संत्रस्त नहीं होता, अपितु अपनी पूर्ण आध्यात्मिक तैयारी के साथ अभय भाव से मृत्यु का स्वागत करता है। अकाम बालमरण है और सकाम पण्डितमरण।
गाथा १०-"सिसुनागुव्व मट्टिय' में कहा है कि जैसे शिशुनाग दोनों ओर से मिट्टी का संचय करता है, वैसे ही बाल-जीव भी दोनों ओर (राग-द्वेष) से कर्ममल का संचय करता है। मन और वाणी, राग और द्वेष, पुण्य और पाप आदि अनेक विकल्प किये हैं। (चूर्णि) - शिशुनाग गंडूपद अर्थात् अलसिया को कहते हैं। वह मिट्टी खाकर अन्दर में मल का संचय करता है और शरीर की स्निग्धता के कारण बाहर में भी इधर-उधर रेंगते हुये अपने शरीर पर मिट्टी चिपका लेता
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IMPORTANT NOTES
Verse-2-There are two kinds of death-naive and prudent. Naive death is, when a man does not want to die but wants to live with desires of sensual and worldly pleasures. But when his lifespan comes to an end he has to die unwillingly. Prudent death is voluntary death. This only means that the aspirant who is not infatuated with sensual pleasures and is equanimous in both, life and death, he is not fearful or disturbed at the time of death; instead he fearlessly welcomes death with all his spiritual preparation. Involuntary death is naive and voluntary death is prudent.
Verse-10—Sisunaguvva mattiyain conveys that as earthworm (shishunaag) acquires sand both ways, through mouth and by body; in the same way, an ignorant being acquires the slime of karmas both ways (through attachment and aversion). According to the commentary (Churni) there are numerous alternative interpretations of the term 'both'-mind and speech, attachment and aversion, and merit and demerit.
Shishunaag or gandupad or alasiya is earthworm. It accumulates sand internally by eating; and due to its sticky body accumulates sand externally also while slithering.