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[53] पंचम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एवं सिक्खा-समावन्ने, गिह- वासे वि सुव्वए । मुच्चई छवि - पव्वाओ, गच्छे जक्ख- सलोगयं ॥ २४ ॥ इस प्रकार धर्मशिक्षा से सम्पन्न गृहवासी - गृहस्थ छोड़कर देवलोक - देवनिकाय में उत्पन्न होता है ॥ २४ ॥
रहता हुआ सुव्रती भी औदारिक शरीर को
A person enriched with such religious knowledge and practicing right conduct, is reborn in divine realm after his death even as a householder. (24)
अह जे संवडे भिक्खू, दोन्हं अन्नयरे सिया । सव्व - दुक्ख - प्पहीणे वा, देवे वावि महड्ढिए ॥ २५ ॥
संवृत (पाँच आस्रवों का निरोध करने वाला) भिक्षु की दो ही गति संभव हैं; या तो वह सभी दुःखों से सदा के लिय मुक्त हो जाता है अथवा महर्द्धिक देव बनता है ॥ २५ ॥
There are only two possible rebirths for an ascetic accomplished in checking (five kinds of) inflow of karmas; either he attains salvation from all miseries forever or is reborn as a highly opulent divine being (mahardhik dev). (25)
उत्तराई विमोहाई, जुइमन्ताणुपुव्वसो ।
समाइण्णाई जक्खेहिं, आवासाइं जसंसिणो ॥ २६ ॥
देवों के आवास क्रमश: ऊपर-ऊपर उत्तरोत्तर उत्तम, द्युतिमान् तथा यशस्वी देवों से आकीर्ण होते हैं ॥ २६ ॥
The abodes of gods are progressively loftier and better. They are crowded with opulent and illustrious gods. (26)
दीहाउया इड्ढिमन्ता, समिद्धा काम - रूविणो । अहुणोववन्न - संकासा, भुज्जो अच्चिमालि - प्पभा ॥ २७ ॥
उनमें निवास करने वाले देव यशस्वी, दीर्घायु, दीप्ति- कान्ति वाले, इच्छानुसार रूप धारण करने में समर्थ होते हैं; अभी-अभी उत्पन्न हुये हों ऐसी कान्ति वाले तथा सूर्यप्रभा के समान तेजस्वी होते हैं ॥ २७ ॥
Gods living in these abodes are illustrious, long lived, opulent and capable of taking desired form. They have the glow of freshness as if born just now and brilliance of sunrays. (27)
ताणि ठाणाणि गच्छन्ति, सिक्खित्ता संजमं तवं । भिक्खाए वा गिहत्थे वा, जे सन्ति परिनिव्वुडा ॥ २८ ॥
इन रमणीय देव-स्थानों में उपशान्त हृदय वाले भिक्षु (श्रमण) अथवा सद्गृहस्थ हिंसा से निवृत्त और तप-संयम की साधना करके जाते हैं- उत्पन्न होते हैं ॥ २८ ॥
The serene minded ascetics or noble householders go to these fascinating divine abodes by renouncing violence and observing austerities and restraint. (28)