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४. [प्र.] चमरस्स णं भंते! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो कइ अग्गमहिसीओ + पन्नत्ताओ? ॐ [उ.] अज्जो! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा-काली १, रायी २, रयणी ३, ॐ
विज्जू ४, मेहा ५। तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्टऽट्ट देवीसहस्सा परिवारो पन्नत्तो। पभू, णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाइं अट्ठट्ट देवीसहस्साइं परियारं विउव्वित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा, से तं तुडिए।
४. [प्र.] भगवन्! असुरेन्द्र असुरराज चमर की कितनी अग्रमहिषियाँ (पटरानियाँमुख्य देवियाँ) हैं?
[उ.] आर्यो! (चमरेन्द्र की) पाँच अग्रमहिषियाँ हैं-(१) काली, (२) राजी, (३) रजनी, (४) विद्युत् और (५) मेघा। इनमें से एक-एक अग्रमहिषी का आठ-आठ हजार देवियों का परिवार है।
एक-एक देवी (अग्रमहिषी), दूसरी आठ-आठ हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती है। इस प्रकार पूर्वा-पर सब मिलाकर (पाँच अग्रमहिषियों का परिवार) चालीस हजार देवियाँ हैं। यह एक त्रुटिक (वर्ग) कहलाता है। ____ 4. [Q.] Bhante ! How many chief consorts does Chamar, the king of gods of Asura gods have?
(Ans.] Noble ones ! He (Chamarendra) has five chief consorts(1) Kaali, (2) Raaji, (3) Rajani, (4) Vidyut and (5) Megha. Each one of them has a family of eight thousand goddesses.
“Prabhu ! Is it possible for each of these goddesses to create or raise a family of eight thousand goddesses? 'Yes, it is. And thus, all told, the total number of goddesses in the family of the said five chief consorts) is forty thousand. This is called a group (trutik or varga). अपनी सुधर्मा सभा में चमरेन्द्र की (मैथुन-निमित्तक) भोग की असमर्थता CHAMERANDRA'S INABILITY OF ENJOYING CARNAL PLEASURES IN HIS ASSEMBLY
५-१. [प्र.] पभू णं भंते! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए?
[उ.] नो इणढे समठे।
५-१. [प्र.] भगवन्! क्या असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर अपनी चमरचंचा राजधानी की सुधर्मा सभा में चमर नामक सिंहासन पर बैठ कर (पूर्वोक्त) त्रुटिक (स्व-देवियों के परिवार) म के साथ भोग्य दिव्य भोगों को भोगने में समर्थ है?
| भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4) 555555555555555555555555555555555555