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+ 6. [2] One having Jnana-atma has Chaaritra-atma (right conducts
observing soul) only optionally. But, one having Chaaritra-atma certainly 卐 has Jnana-atma.
६-३. णाणाया य वीरियाया य दो वि परोप्परं भयणाए। [६-३] ज्ञानात्मा और वीर्यात्मा इन दोनों का परस्पर-सम्बन्ध भजना से कहना चाहिए।
6. [3] The association of Jnana-atma and Virya-atma (soul with active potency) is always optional only.
७. जस्स दंसणाया तस्स उवरिमाओ दो वि भयणाए, जस्स पुण ताओ तस्स दंसणाया नियम अत्थि।
[७] जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा, ये दोनों भजना से होती है; है परन्तु जिसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है।
7. One having Darshan-atma has both Chaaritra-atma and Virya-atma only optionally. But, one having both Chaaritra-atma and Virya-atma _certainly has Darshan-atma.
८. जस्स चरित्ताया तस्स वीरियाया नियम अत्थि, जस्स पुण वीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अस्थि सिय नत्थि।
[७] जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है, किन्तु जिसके वीर्यात्मा 卐 होती है, उसके चारित्रात्मा कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं भी होती।
8. One having Chaaritra-atma certainly has Virya-atma. But, one F having Virya-atma has Chaaritra-atma only optionally.
विवेचन-प्रस्तुत सात सूत्रों में आठ प्रकार की आत्माओं के परस्पर सम्बन्ध की प्ररूपणा की गई है।
द्रव्यात्मा का शेष सात आत्माओं के साथ सम्बन्ध-जिस जीव के द्रव्यात्मा होती है, उसके 卐 कषायात्मा, सकषाय अवस्था में होती है, परन्तु उपशान्तकषाय अथवा क्षीणकषाय अवस्था में कषायात्मा + नहीं होती है। इसके विपरीत जिस जीव के कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा नियम से होती है, क्योंकि द्रव्यात्मत्व-जीवत्व के बिना कषायों का होना सम्भव नहीं है।
जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके योगात्मा सयोगी अवस्था में होती है, लेकिन अयोगी अवस्था में द्रव्यात्मा के साथ योगात्मा का होना सम्भव नहीं है। इसके विपरीत जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा तो नियम से होती है, क्योंकि द्रव्यात्मा जीव रूप है जिसके बिना जीव के योगों का होना सम्भव नहीं है।
| बारहवाँशतक: दशम उद्देशक
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Twelfth Shatak : Tenth Lesson