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+55555555555 5555555558 active potency) follows the pattern of aforesaid association of Yoga-atma 5 and Kashaaya-atma.
४. एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं समं भाणियव्वओ।
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[४] इसी प्रकार जैसे कषायात्मा के साथ अन्य छह आत्माओं के पारस्परिक सम्बन्ध की वक्तव्यता कही है वैसी योगात्मा के साथ भी आगे की पाँच आत्माओं के परस्पर सम्बन्ध की वक्तव्यता कहनी चाहिए।
4. As association of Kashaaya-atma with following six classes of souls has been detailed in preceding statements, likewise mention the association of Yoga-atma with following five classes of souls.
५. जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवयोगायाए वि उवरिल्लाहिं समं भाणियव्वा।
[५] जिस प्रकार द्रव्यात्मा की वक्तव्यता कही है, उसी प्रकार उपयोगात्मा की वक्तव्यता भी आगे की चार आत्माओं के साथ कहनी चाहिए।
5. As association of Dravya-atma has been detailed in preceding statements, likewise mention the association of Upayoga-atma with following four classes of souls.
६-१. जस्स नाणाया तस्स दंसणाया नियम अस्थि, जस्स पुण दंसणाया तस्स णाणाया भयणाए।
[६-१] जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा नियम से अवश्य होती है और जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा भजना से होती है।
6. [1] One having Jnana-atma (righteous-soul) certainly has Darshanatma (perceptive soul). But, one having Darshan-atma has Jnana-atma only optionally.
६-२. जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियमं अत्थि।
[६-२] जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं म भी होती तथा जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा अवश्य होती है।
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| भगवती सूत्र (४)
(416)
Bhagavati Sutra (4)