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[Ans.] Gautam! They come from among infernal beings of Ratnaprabha Prithvi and get born but not those from Sharkaraprabha Prithvi... and so on up to... Adhah-saptam Prithvi.
८-३. [ प्र. ] जइ देवेहिंतो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जंति, वाणमंतरजोइसिय-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जंति ?
[उ.] गोयमा ! भवणवासिदेवेहिंतो वि उववज्जंति, वाणमंतर०, एवं सव्वदेवेसु उववायव्वा वक्कंतीभेएणं जाव सव्वट्ठसिद्ध त्ति ।
८-३ [प्र.] भगवन्! यदि वे देवों से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या भवनवासी देवों से उत्पन्न होते हैं ? अथवा वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क या वैमानिक देवों से आकर उत्पन्न होते हैं ? [उ.] गौतम ! भवनवासी देवों से भी उत्पन्न होते हैं अथवा बाणव्यन्तर से भी ( उत्पन्न होते हैं।) इस प्रकार सभी देवों से उत्पत्ति उपपात के विषय में यावत् सर्वार्थसिद्ध तक, (प्रज्ञापनासूत्र के छठे ) व्युत्क्रान्ति - पद में कथित भेद (विशेषता) के अनुसार कहना चाहिए ।
8-3. [Q.] Bhante ! If they come from among divine beings ( Devs), do they come from among the abode-dwelling divine beings (Bhavan-vaasi Devs) and get born ? Or they come from interstitial (Vanavyantar), stellar (Jyotishk) or celestial-vehicular (Vaimaanik) gods (Devs) and get born ?
[Ans.] Gautam! From abode-dwelling divine beings, interstitial (Vanavyantar), and in the same way mention about all divine beings... and so on up to... Sarvarthasiddha (divine realm) coming from and getting born according to the variation as mentioned in Vyutkranti chapter (the sixth chapter of Prajnapana Sutra).
९. [ प्र. ] धम्मदेवा णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति किं नेरइएहिंतो ?
[उ. ] एवं वक्कंतोभेएणं सव्वेसु उववाएयव्वा जाव सव्वट्ठसिद्ध त्ति । नवरं तमा- अहेसत्तमाए नो उववाओ तेउ वाउ - असंखेज्जवासाउय-अकम्मभूमग- अंतरदीवगवज्जेसु । ९. [प्र.] भगवन् ! धर्मदेव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? क्या वे नैरयिकों से उत्पन्न होते हैं ? (इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न । )
[उ.] गौतम! व्युत्क्रान्ति - पद में कथित भेद के अनुसार यह सभी उपपात यावत्त्- सर्वार्थसिद्ध तक कहना चाहिए। परन्तु इतना विशेष है कि ( ये धर्मदेव) तमःप्रभा, अध:सप्तम पृथ्वी से तथा
बारहवाँ शतक : नौवाँ उद्देशक
(387)
Twelfth Shatak: Ninth Lesson
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