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________________ )) )))))) m 85555555555555555555555555555555555555 जीव-अजीव सम्बन्धी कथन ABOUT THE LIVING AND THE NON-LIVING म ७. [प्र.] इंदा णं भंते! दिसा किं जीवा, जीवदेसा, जीवपएसा, अजीवा, ॐ अजीवदेसा, अजीवपएसा? _ [उ.] गोयमा ! जीवा वि, तं चेव जाव अजीवपएसा वि। जे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेइंदिया जाव पंचिंदिया, अणिंदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा, जाव अणिंदियदेसा। जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा बेइंदियपएसा, जाव अणिदियपएसा। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-रूविअजीवा य अरूविअजीवा य। जे रूविअजीवा ते चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा, १ खंधदेसा २ खंधपएसा ३ ॐ परमाणुपोग्गला ४। जे अरूविअजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा–नो धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकायस्स देसे १ धम्मत्थिकायस्स पएसा २; नो अधम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकायस्स देसे ३ अधम्म स्थिकायस्स पएसा ४; नो आगासस्थिकाए, आगासत्थिकायस्स देसे ५ आगासत्थि कायस्स ॐ पएसा ६ अद्धासमए ७।। ७. [प्र.] भगवन्! क्या ऐन्द्री (पूर्व) दिशा जीव रूप है, जीव के देश रूप है, जीव के प्रदेश रूप है, अथवा अजीव रूप है, अजीव के देश रूप है या अजीव के प्रदेश रूप है? [उ.] गौतम ! वह (ऐन्द्री दिशा) जीव रूप भी है, इत्यादि पूर्ववत् जानना चाहिए, यावत् वह अजीव प्रदेश रूप भी है। उसमें जो जीव हैं, वे नियमतः एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, यावत् पंचेन्द्रिय तथा अनिन्द्रिय (केवलम ज्ञानी) हैं। जो जीव के देश हैं, वे नियमतः एकेन्द्रिय जीव के देश हैं, यावत् अनिन्द्रिय जीव के देश हैं। जो जीव के प्रदेश हैं, वे नियमतः एकेन्द्रिय जीव के प्रदेश हैं, यावत् अनिन्द्रिय जीव के प्रदेश हैं। इसमें जो अजीव हैं, वे दो प्रकार के हैं। यथा-रूपी अजीव और अरूपी अजीव। रूपी अजीवों के ॐ चार भेद हैं। यथा-(१) स्कन्ध, (२) स्कन्ध देश, (३) स्कन्ध प्रदेश और (४) परमाणु पुद्गल। जो अरूपी अजीव हैं, वे सात प्रकार के हैं। यथा-(१) (स्कन्ध रूप समग्र) धर्मास्तिकाय ॐ नहीं, किन्तु धर्मास्तिकाय का देश है, (२) धर्मास्तिकाय के प्रदेश हैं, (३) (स्कन्ध रूप) अधर्मास्तिकाय नहीं, किन्तु अधर्मास्तिकाय का देश है, (४) अधर्मास्तिकाय के प्रदेश हैं, (५) (स्कन्ध रूप) आकाशास्तिकाय नहीं, किन्तु आकाशास्तिकाय का देश है; (६) आकाशस्तिकाय के प्रदेश हैं और (७) अद्धा-समय अर्थात् काल है। 7. [Q.] Bhante ! Does the east appear as (abound in) jiva (the living), section (desh) of the living, space-point (pradesh) of the living, or भ95955555555555555 | दशमशतक: प्रथम उद्देशक (5) Tenth Shatak : First Lesson 555555555555555555555555 558
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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