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नैऋत्य
पश्चिम दिशा
पश्चिम उत्तर वायव्य कोण
पश्चिम
रुचक
प्रदेश
दस दिशाएँ
पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण ये चारों दिशाएँ मूल में द्धि प्रदेशी हैं। और आगे दो-दो प्रदेश की वृद्धि करती हुई लोकान्त तक असंख्यात प्रदेशी हो जाती हैं और अलोक में अनन्त प्रदेशी हो जाती है।
दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य कोण
वायव्य
दक्षिण
उत्तर दिशा
दक्षिण दिशा
ऊर्ध्व दिशा
अधो दिशा
(ईशान कोण)
उत्तर पूर्व
पूर्व दिशा
एक प्रदेश
पूर्व दक्षिण
(आग्नेय कोण)
दसों दिशाओं का त्रिआयामी चित्र
उत्तर
आग्नेय
→ ईशान
पूर्व