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8555555555555555555555555555555555555 म [१३] तदोपरान्त वे श्रमणोपासक श्रावस्ती नगरी में अपने-अपने घर आए और विपुल 5 म अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य (चार प्रकार का आहार) तैयार करवाया। फिर उन्होंने एक-दूसरे के 卐 को बुलाया और एक-दूसरे से इस प्रकार कहा-देवानुप्रियो! हमने तो (शंख श्रमणोपासक के में कहने पर) विपुल अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य (आहार) तैयार करवा लिया; लेकिन शंख
श्रमणोपासक अभी तक नहीं आए इसलिए देवानुप्रियो ! हमें शंख श्रमणोपासक को बुलाकर लाना ॐ चाहिए।
13. There, those shramanopasaks returned to there respective homes 5 and got prepared ample quantity of ashan, paan, khadya, svadya (staple
food, liquids, general food, and savoury food). They called each other and said—“Beloved of gods ! We got prepared (as advised by shramanopasak Shankh) ample staple food, liquids, general food, and savoury food. However, he has not yet turned up. As such, beloved of gods ! We should go and fetch him.” - १४. तए णं से पोक्खली समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी-'अच्छह णं तुब्भे ॐ देवाणुप्पिया! सुनिव्वुया वीसत्था, अहं णं संखं समणोवासयं सद्दावेमि' त्ति कटु तेसिं ॥
समणोवासगाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइ, प. २ सावत्थीए नयरीए मज्झमझेणं जेणेव
संखस्स समणोवासगस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, ते. उ. २ संखस्स समणोवासगस्स गिहं + अणुपवितु।
[१४] इसके बाद उस पुष्कली नामक श्रमणोपासक ने उन श्रमणोपासकों से इस प्रकार 卐 कहा-“देवानुप्रियो ! तुम सब अच्छी तरह स्वस्थ (निश्चित) और विश्वस्त होकर (यहाँ) बैठो,
मैं शंख श्रमणोपासक को बुलाकर लाता हूँ।" ऐसा कह कर वह उन श्रमणोपासकों के पास से म निकल कर श्रावस्ती नगरी के मध्य से होकर जहाँ शंख श्रमणोपासक का घर था, वहाँ आया और ॐ शंख श्रमणोपासक के घर में प्रवेश किया। + 14. At this a shramanopasak named Pushkali said to the group
"Beloved of gods ! I will go and fetch shramanopasak Shankh. You all please sit here and rest assured.” With these words he left and crossing Shravasti city came to Shankh's residence and entered.
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| बारहवाँशतक : प्रथम उद्देशक
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Twelfth Shatak : First Lesson 955555555555555555555555555555555