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११. तए णं ते समणोवासगा संखस्स समणोवासगस्स एयमटुं विणएणं पडिसुणंति। [११] इस पर उन श्रमणोपासकों ने शंख श्रमणोपासक की इस बात को विनयपूर्वक स्वीकार 5
ॐ किया।
___11. The shramanopasaks modestly accepted Shankh's proposal.
विवेचन-पौषध मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-(१) चतुर्विध आहारत्याग-पौषध और (२) आहार-सेवनयुक्त पौषध। शंख श्रमणोपासक ने आहार-सेवनयुक्त पौषध करने का विचार प्रस्तुत किया है, जिसे वर्तमान में देश पौषध, देशावकाशिकव्रत-रूप पौषध, अथवा दयाव्रत या छः काय-आरम्भ (षट्कायारम्भ) त्याग कहते हैं।
Elaboration-Paushadh vrat (partial-ascetic vow) is mainly of two kinds—(1) Chaturvidh ahaar tyaag paushadh or partial-ascetic vow renouncing food of all four kinds or with fasting. (2) Ahaar sevan yukt 41 paushadh or partial ascetic vow with food intake. In this statement Shankh proposes partial ascetic vow of second kind. In modern terms it is called
Desh Paushadh (partial partial-ascetic vow), or Deshavakashik Paushadh, 41 or Daya Vrat or Shatkaayaarambh tyaag.
शंख श्रमणोपासक द्वारा आहार त्याग कर एकाकी पाक्षिक पौषध का अनुपालन SHANKH ALONE OBSERVES FASTING PAUSHADH FOR A FORTNIGHT
१२. तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-'नो खलु मे सेयं तं विउलं असणं जाव साइमं आसाएमाणस्स विस्साएमाणस्स
परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए। सेयं खलु मे + पोसहसालाए पोसहियस्स बंभयारिस्स उम्मुक्कमणि-सुवण्णस्स ववगयमाला-वण्णग-॥
विलेवणस्स निक्खित्तसत्थ-मुसलस्स एगस्स अविइयस्स दब्भसंथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए' त्ति कटु एवं संपेहेइ, ए. सं. २ जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव
सए गिहे जेणेव उप्पला समणोवासिया तेणेव उवागच्छइ, उवा. २ उप्पलं समणोवासियं म आपुच्छइ, उ. आ. २ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवा. २ पोसहसालं अणुपविस्सइ,
पो. अ. २ पोसहसालं पमज्जइ, पो. प. २ उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ, उ. प. २ दब्भसंथारगं संथरइ, द. सं. २ दब्भसंथारगं दुरूहइ, दुरूहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ।
| भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4) 5555555555555555555555555555555555555