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भगवान का श्रावस्ती नगरी में पदार्पण तथा श्रमणोपासकों द्वारा धर्मकथा-श्रवण
ARRIVAL OF BHAGAVAN MAHAVIR IN SHRAVASTI
६. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ ।
[६] उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर स्वामी श्रावस्ती पधारे। उनका समवसरण (धर्मसभा) लगा । तब परिषद् वन्दन के लिये गई यावत् पर्युपासना करने लगी।
6. During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir arrived
in Shravasti city, his religious assembly started... and so on. up to... people worshiped him.
७. तए णं ते समणोवासगा इमीसे कहाए जहा आलभियाए (स. ११ उ. १२) जाव पज्जुवासंति।
[७] इसके बाद वे श्रमणोपासक (शंख और पुष्कली) भी, आलभिका नगरी के श्रमणोपासक के समान (श. ११, उ. १२) उनके वन्दन एवं धर्मकथा श्रवण के लिए आए यावत् पर्युपासना करने लगे ।
7. Like the shramanopasaks of Aalabhika city (Chapter-11, Lesson -
12), these shramanopasaks (of Shravasti city including Shankh and Pushkali) too came to pay homage to Bhagavan and listen to his sermon... and so on up to ... they commenced his worship.
८. तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महतिमहालियाए. धम्मका जाव परिसा पडिगया ।
[८] इसके उपरान्त श्रमण भगवान महावीर ने उन श्रमणोपासकों को और उस विशाल महापरिषद को धर्मकथा कही । यावत् परिषद् (धर्मकथा सुनकर ) वापिस चली गई ।
8. After that, Shraman Bhagavan Mahavir gave his sermon to those shramanopasaks and that great assembly ... and so on up to ... ( after hearing the sermon) the assembly dispersed.
९. तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म
हट्ठतुट्ठ. समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसंति, वं. २ पसिणाई पुच्छंति, प. पु. अट्ठाई परियाइयंति, अ. प. २ उट्ठाए उट्ठेति, उ. २ समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति, प. २ जेणेव सावत्थी नयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।
भगवती सूत्र (४)
(228)
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Bhagavati Sutra (4)
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