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२१. [प्र.] अस्थि णं भंते! सोहम्मे कप्पे दव्वाइं सवण्णाइं पि अवण्णाई (स. ११ 卐 उ. ९.) पि।
[ उ. ] तहेव जाव हंता, अत्थि ।
२१ [प्र.] भगवन्! क्या सौधर्म-देवलोक में वर्णसहित और वर्णरहित द्रव्य हैं ? इत्यादि पूर्ववत् (श. ११, उ. ९ के अनुसार ) प्रश्न । [उ.] हाँ, गौतम ! हैं ।
21. [Q.] Bhante ! Do substances (dravya) with and without colour exist in Saudharma divine realm? And other questions as before (Chapter-11, Lesson-9).
[Ans.] Yes, Gautam ! They do.
२२. [ प्र. ] एवं ईसाणे वि । एवं जाव अच्चुए एवं गेविज्जविमाणेसु, अणुत्तरविमाणेसु वि, ईसिपब्भाराए वि?
[ उ ] जाव हंता, अस्थि ।
२२ [प्र.] इसी प्रकार क्या ईशान देवलोक में यावत् अच्युत देवलोक में ग्रैवेयक विमानों में, अनुत्तर विमानों में और ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी में भी वर्णादिसहित और वर्णादिरहित द्रव्य हैं ?
[उ.] हाँ, गौतम ! हैं ।
22. [Q.] In the same way do substances (dravya) with and without colour exist in Ishaan divine realm... and so on up to ... Achyut divine. realm, and Graiveyak and Anuttar celestial vehicles as well as Ishatpragbhaara Prithvi (the realm of Siddhas)? And other questions as before (Chapter-11, Lesson-9).
[Ans.] Yes, Gautam ! They do.
२३. तए णं सा महतिमहालिया जाव पडिगया ।
इसके बाद वह विशाल परिषद् (धर्मोपदेश सुनकर ) यावत् वापस लौट गई।
23. After that the great religious assembly dispersed (after hearing his sermon).
[२३]
मुद्गल परिव्राजक द्वारा निर्ग्रन्थप्रव्रज्याग्रहण एवं सिद्धिप्राप्ति
MUDGAL PARIVRAJAK'S NIRGRANTH INITIATION AND LIBERATION
२४. तए णं आलभियाए नयरीए सिंघाडग-तिय अवसेसं जहा सिवस्स (स. ११ उ. ९) जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, नवरं तिदंड- कुंडियं जाव धाउरत्तवत्थपरिहिए परिवडियविभंगे भगवती सूत्र (४)
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(220)
Bhagavati Sutra ( 4 )
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