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राजकुमार महाबल के लिए श्रेष्ठ आठ प्रासादों का निर्माण CONSTRUCTION OF EIGHT PALACESS 卐 ४७. तए णं तं महब्बलं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जाव अलंभोगसमत्थं वियाणित्ता ॐ अम्मापियरो अट्ठ पासायवडेंसए कारेंति। अब्भुग्गयमूसिय पहसिए इव वण्णओ जहा मैं 卐 रायप्पसेणइज्जे जाव पडिरूवे। तेसि णं पासायवडेंसगाणं बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महेगं ॥
भवणं करेंति अणेगखंभसयसन्निविट्ठ, वण्णओ जहा रायप्पसेणइज्जे पेच्छाघरमंडवंसि मजाव पडिरूवे।
[४७] महाबल कुमार को बालभाव से उन्मुक्त यावत् पूरी तरह भोग-समर्थ जानकर में माता-पिता ने उसके लिए आठ सर्वश्रेष्ठ प्रासाद बनवाए। वे प्रासाद राजप्रश्नीय सूत्र में उल्लेखित ॐ प्रासाद वर्णन के अनुसार, अत्यन्त ऊँचे यावत् प्रतिरूप (सुन्दर) थे। उन आठ श्रेष्ठ प्रासादों के
ठीक मध्य में एक महाभवन तैयार करवाया, जो सैकड़ों खंभों पर टिका हुआ था। उसका वर्णन म भी राजप्रश्नीय सूत्र के प्रेक्षागृह मण्डप के वर्णन के अनुसार जान लेना चाहिए यावत् वह अत्यन्त सुन्दर था।
47. When prince Mahabal's parents realized that from being juvenile he had matured in every respect and was capable of enjoying sensual i pleasures, they got eight beautiful palaces constructed for him. These
buildings were tall and eye catching like the description of palace given si
in Rajaprashniya Sutra. One other large palace, at the exact center of 4 these eight palaces, was constructed. This building was raised on
hundreds of pillars. The description of this palace should be quoted from the description of Prekshagrihamandap as mentioned in Rajaprashniya Sutra. ... and so on up to...it was exquisite and alluring.
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卐 बलकुमार का आठ कन्याओं के साथ विवाह MARRIAGE OF PRINCE MAHABAL
४८. तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मा-पियरो अन्नया कयाइ सोभणंसि तिहिमकरण-दिवस-नक्खत्त-मुहुत्तंसि पहायं कयबलिकम्मं कयकोउय-मंगल-पायच्छित्तं
सव्वालंकारविभूसियं पमक्खणगण्हाण-गीय-वाइय-पसाहणटुंगतिलग-कंकणम अविहववहुवणीयं मंगल-सुजंपिएहि य वरकोउय-मंगलोवयारकयसंतिकम्मं सरिसयाणं
सरित्तयाणं सरिव्वयाणं सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेयाणं विणीयाणं के कयकोउय-मंगलोवयारकयसंतिकम्माणं सरिसएहिं रायकुलेहितो आणिल्लियाणं अट्ठण्हं ॐ रायवरकन्नाणं एगदिवसेणं पाणिं गिहाविंसु।
[४८] इसके पश्चात् शुभ तिथि, करण, दिवस, नक्षत्र और मुहूर्त में महाबल कुमार ने स्नान 卐 किया, फिर न्योछावर करने की क्रिया (बलिकर्म) करके कौतुक-मंगल प्रायश्चित्त किया। म तदोपरांत उसे समस्त अलंकारों से विभूषित किया गया। इसके बाद सौभाग्यवती (सधवा) स्त्रियों
| भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4)|
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